मौत के किले में हो चुके कई हादसे, फिर भी रोमांच के लिए जाते हैं लोग

महाराष्ट्र के माथेरान और पनवेल के बीच स्थित मौत के किले के रूप में मशहूर प्रभलगढ़ फोर्ट के बारे में बताने जा रहे हैं. यह किला देश के खतरनाक किलों में से एक है. यह 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर यह बना है. यहां अब तक कई लोगों की जान गई है. लेकिन आज भी इसका रोमांच लोगों को अपनी और आकर्षित करता है.

प्रभलगढ़ फोर्ट

पहले इस किले को मुरंजन किला कहा जाता था. इस किले का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में बदला गया. शिवाजी ने रानी कलावंती के नाम पर इस किले को नाम दिया.

कलावंती फोर्ट (प्रभलगढ़ फोर्ट)

कठिन रास्ता होने के कारण यहां बेहद कम लोग आते हैं और जो आता है वह सूर्यास्त के पहले लौट जाता है. दरअसल, खड़ी चढ़ाई होने के कारण आदमी यहां लंबे समय तक नहीं टिक पाता है. साथ ही बिजली, पानी से लेकर यहां कोई भी व्यवस्था नहीं रहती. शाम होते ही मीलों दूर तक सन्नाटा फैल जाता है.

इस किले पर चढ़ने के लिए चट्टानों को काटकर सीढियां बनाई गई हैं. इन सीढ़ियों पर ना तो रस्सियां है और ना ही कोई रेलिंग. चढ़ाई के समय जरा सी भी चूक हुई या पैर फिसला तो आदमी 2300 फीट नीचे खाई में गिरता है. इस किले से गिरने पर आज तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.

कलावंती दुर्ग के किले से चंदेरी, माथेरान, करनाल, इर्शल किले भी नजर आते हैं. वहीं मुंबई का कुछ इलाका भी इस किले से देखा जा सकता है. अक्टूबर से मई तक इस किले पर चढ़ाई की जा सकती है. बारिश के दिनों यहां चढ़ाई बेहद खतरनाक हो जाती है.

 

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