पवित्र मन से करें भगवान विष्णु का व्रत, दूर होगी शनि की काली छाया

27 जनवरी शनिवार को एकादशी है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है. शनिवार को एकादशी होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. शनिवार को एकादशी होने से ही बहुत ही शुभ योग बन गया है.

जया एकादशी

इस दिन किए गए उपायों से शनि दोष दूर हो सकता है और भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की कृपा भी मिल सकती है.

जया एकादशी के दिन पवित्र मन से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. भक्त को अपने मन में द्वेष, छल-कपट, वासना की भावना नहीं लानी चाहिए.  इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए, जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं, उनकी सभी परेशानियां दूर होती हैं.

उपाय

एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखें. उसके बाद तेल का दान करें.

शनिदेव को नीले फूल चढ़ाएं और तेल अर्पित करें.

पीपल को जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करें.

व्रत कथा

इंद्र की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था, लेकिन उसका मन अपनी जीवन साथी को याद कर रहा था. इस कारण से गाते समय उसकी लय बिगड़ गई. इस पर इंद्र ने क्रोधित होकर गंधर्व और उसकी पत्नी को पिशाच योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया. पिशाच योनी में जन्म लेकर पति-पत्नी कष्ट भोग रहे थे. संयोग से माघ मास के शुक्ल की एकादशी पर दुखी होकर इन दोनों ने कुछ भी नहीं खाया और रात में ठंड की वजह से सो भी नहीं पाए. इस तरह अनजाने में इनसे जया एकादशी का व्रत हो गया.

इस व्रत के प्रभाव से दोनों श्राप मुक्त हो गए और अपने वास्तविक रूप में लौटकर स्वर्ग पहुंच गए. जब देवराज इंद्र ने गंधर्व को वापस वास्तविक रूप में देखा तो वे हैरान हो गए. गंधर्व और उनकी पत्नी ने बताया कि उनसे अनजाने में ही जया एकादशी का व्रत हो गया. इस व्रत के पुण्य से ही उन्हें पिशाच योनी से मुक्ति मिली है.

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