जलसा सीरतुन्नबी में इस्लामी समाज के शिक्षित होने पर जोर

देहरादून। मुस्लिम कालोनी में रविवार को जलसा सीरतुन्नबी व पयाम-ए-इन्सानियत कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। स्वर्ण शिल्प समिति की कान्फ्रेंस पयाम-ए-इन्सानियत में तमाम मुस्लिम विद्वानों ने इस्लामी समाज को शिक्षित होने की बात पर काफी जोर दिया। इन विद्वानों का मानना है कि कोई भी समाज हो, शिक्षा के बिना वह अधूरा है। शिक्षा के बिना वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता है।

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विद्वानों का कहना है कि यदि आप समाज की बुराइयों का खातमा करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने अंदर के छिपे शैतान तथा तमाम उन बुराइयों का खातमा करना होगा जिसका प्रभाव समाज व इस्लाम पर पड़ता हो, तभी समाज आगे बढ़ सकता है। बुराइयों के खातमे की पहल यदि अपने परिवार से शुरू की जाए तो सबसे बेहतर होगा।

आजाद पार्क मुस्लिम कालोनी में जलसा सीरतुन्नबी व पयाम-ए-इन्सानियत कान्फ्रेंस शहरकाजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी की अध्यक्षता में हुई। इस कान्फ्रेंस में मौलाना अब्दुल कादिर ने कुरान की तिलावत कर शुरूआत की। जमीयत उलेमा-ए-उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती रियासत ने कहा कि समाज में जो कुरीतियां पैदा हो गई हैं उनसे बचने के लिए हमें जागरूक होना चाहिए। इस्लामिक दायरे में रहकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने की हमें सभी को बेहद जरूरत है।

ऑल इंडिया दीनी मदारिस बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना याकूब बुलन्दशहरी ने कहा कि इस्लाम में जो बाते बताई गई हैं उन पर अमल करो, ईमान समझने और सीखने के लिए सीरत पढ़ो, शादी शरई तौर पर करो न के गैर शरई तौर पर। कहा कि अल्लाह ने अपने रसूल मोहम्मद को जिन बुराइयों को दूर करने के लिए भेजा था वह तमाम बुराइयां हममें मौजूद हैं। मेरठ से आए मौलाना मशहूद रहमान ने कहा कि इस्लाम का जो पैगाम है वह सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं बल्कि सभी इंसानों के लिए है।

मौलाना निसार अहमद ने कहा कि कुरान और हदीस में जिन्दगी जीने का सही और सरल तथा आदर्श तरीका बताया गया है। शहर काजी मौलाना मोहम्मद कासमी ने लोगों से कहा कि अक्सर आपने देखा होगा कि जिस किसी ने इस्लाम का दामन छोड़ा है वह ही परेशानी रहता नजर आया है। आखिर में हाफ़िज जमील ने दुआ करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। संचालन काज़ी दारूल कज़ा मुफ्ती सलीम अहमद क़ासमी ने किया।

इस मौके पर कारी अहसान, मौलाना अब्दुल कादिर, मुफ्ती मुज़ल्लिम, कारी अबुल फज़ल, हाफिज़ सुलेमान, मोहम्मद शाह नज़र, मौलाना मोहम्मद मुस्तकीम, हाफिज़ मोहसिन, जलसा कमेटी अध्यक्ष हाजी इकबाल शेर, मासूम अहमद, मुफ्ती हुजैफा कासमी, मौलाना अकबर, मौलाना नसीम, अफज़ाल अहमद, अब्दुल रहमान, मुफ्ती अयाज कासमी, अब्दुल सत्तार, कारी अमानतुल्लाह, मुज्जफर रहमान, मोइनुल हक, हैदर अली, रफीक अहमद, इस्लाम, सलीम मुल्ला, शौराब अली मौजूद थे।

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