राजस्थान के जैसलमेर में शनिवार (31 मई, 2025) को ऑपरेशन शील्ड के तहत एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसमें दुश्मन के हवाई हमले और उसके बाद राहत व बचाव कार्यों का यथार्थवादी प्रदर्शन किया गया।

शाम 7 बजे शहर में तेज सायरन की आवाज गूंजी, जिसने युद्ध जैसे माहौल की अनुभूति कराई। यह अभ्यास जोधपुर मार्ग पर सैन्य स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर दूर हुआ, जिसमें भारतीय सेना, जिला प्रशासन, पुलिस, सिविल डिफेंस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने समन्वय के साथ हिस्सा लिया।
ड्रिल में दुश्मन के हवाई हमले का सजीव सिमुलेशन किया गया। जैसे ही हमले का संकेत मिला, जैसलमेर शहर से एम्बुलेंस और दमकल गाड़ियां सायरन बजाते हुए सैन्य क्षेत्र में पहुंचीं। लगभग 7:55 बजे दो एम्बुलेंस में घायल सैनिकों की भूमिका निभा रहे व्यक्तियों को उपचार के लिए सेना के अस्पताल ले जाया गया। ड्रिल के दौरान जोधपुर मार्ग पर यातायात बाधित हुआ और वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, लेकिन यातायात पुलिस ने तुरंत व्यवस्था संभालकर आवागमन सुचारु किया। जिला कलक्टर प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी और कई सैन्य व प्रशासनिक अधिकारी ड्रिल की निगरानी के लिए मौजूद रहे।
ऑपरेशन सिंदूर और ब्लैकआउट का संदर्भ
मॉक ड्रिल का यह आयोजन ऑपरेशन सिंदूर (7-10 मई, 2025) के बाद बढ़ी सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर किया गया, जब पाकिस्तान ने जैसलमेर, बाड़मेर, जम्मू, और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइल हमलों का प्रयास किया था। भारतीय सेना के एयर डिफेंस सिस्टम, जैसे S-400, आकाश, और अकाशतीर, ने इन हमलों को नाकाम कर दिया था, जिसमें 600 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन नष्ट किए गए। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जैसलमेर में पांच दिनों तक पूर्ण ब्लैकआउट लागू रहा था, और 7-8 मई को ड्रोन हमलों की खबरें सामने आई थीं।
पहले भी हो चुकी हैं ड्रिल्स
इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार के निर्देश पर सोनार दुर्ग के पास आतंकी हमले की मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी, जिसमें ब्लैकआउट भी लागू किया गया था। ऑपरेशन शील्ड का यह अभ्यास 31 मई को जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, और चंडीगढ़ में आयोजित किया गया, जिसमें हवाई हमले, ड्रोन और मिसाइल हमलों, और आपातकालीन निकासी जैसे परिदृश्यों का परीक्षण किया गया। इसका उद्देश्य नागरिकों और सुरक्षा बलों की तैयारियों को परखना और आपातकाल में समन्वय को मजबूत करना था।
नागरिकों की भूमिका और जागरूकता
बीएसएफ के डीआईजी योगेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति में बचाव और राहत कार्यों के लिए जागरूक करना है। सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों ने सीमा प्रहरी की भूमिका निभाते हुए सतर्कता और सहयोग दिखाया। इन अभ्यासों से न केवल सुरक्षा बलों की तैयारी मजबूत होती है, बल्कि नागरिकों को भी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का व्यावहारिक अनुभव मिलता है।