मोसाद के लिए जासूसी कर रहे ईरानी शोधकर्ता को सजा-ए-मौत

ईरानी सर्वोच्च न्यायालयतेहरान। ईरानी सर्वोच्च न्यायालय ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने के आरोप में एक ईरानी शोधकर्ता को सजा-ए-मौत को मंजूरी दे दी है। तेहरान टाइम्स ने अभियोजक अब्बास जाफरी-दौलताबादी के हवाले से सोमवार को बताया कि अहमद रजा जलाली ने स्वीकार किया था कि मोसाद के एजेंटों के साथ उसकी आठ बार मुलाकात हुई और उसे बदले में धन दिया गया।

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अभियोजक ने कहा कि जलाली ने रक्षा मंत्रालय और ईरानी परमाणु ऊर्जा संगठन (एएओआई) से संबंधित परियोजनाओं के बारे में मोसाद के जासूसों को जानकारी दी। इसमें एईओआई के संयंत्र, मंत्रालय की योजनाएं और मंत्रालय से संबंधित महत्वपूर्ण इमारतों के खाका और एईओआई की जानकारी शामिल है।

जाफरी-दौलताबादी ने कहा, “उपर्युक्त व्यक्ति ने मोसाद को अनुसंधान, सैन्य, रक्षा और परमाणु परियोजनाओं पर काम करने वाले 30 शीर्ष लोगों के बारे में पूरी और लिखित जानकारी दी। इसमें 2010 में मारे गए दो लोगों अली मोहम्मदी और मोहम्मद शाहरियारी के बारे में जानकारी भी शामिल है।”

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उन्होंने कहा कि शोधकर्ता को जानकारी के बदले धन और उसके एवं उसके परिवार को स्वीडन की नागरिकता प्रदान की गई थी।

अभियोजक ने यह भी कहा कि जलाली की मौत की सजा को सर्वोच्च न्यायालय ने दो दिसंबर, 2017 को सही ठहराया था।

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