अमित विक्रम शुक्ला
आमतौर पर राजनीति में कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं। जिनसे उबर पाना हर एक राजनेता के बस की बात नहीं होती। लेकिन जो भी व्यक्ति इन सियासी पत्थरों को अपने राजनीतिक कुशलता के हथौड़े से तोड़कर ‘दशरथ मांझी’ की तरफ समाज को नए पैमाने को मापने के लिए हक़ की मज़बूत सड़क दे जाते हैं। उन्हें जनता कभी नहीं भूलती। बल्कि उन्हें और उनके काम का तहे दिल से स्वागत करती है।
लेकिन जब बात यूपी के सियासत की हो, तो फिर बात और भी दिलचस्प हो जाती है। क्योंकि यह वो सूबा है। जहां के लोग वोटर बाद में पहले नेता बनते हैं। खासतौर पर यहां के युवाओं में राजनीति की दिलचस्पी देखकर यही लगता है कि सभी पैदायशी राजनीतिज्ञ हैं। इस बात को और भी पुख्ता कर देता है। उनका राजनीतिक ज्ञान। खैर इस बात को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा है कि इस धरती ने ट्रॉली भरकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दिए हैं।
अब जब बात मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की हो चली है, तो आज उस नेता के बारे पता लगाते हैं। जिसके सियासी घोड़े ने ऐसी दौड़ लगाई कि विरोधियों के हाथ बस रास्ते की उड़ती धूल ही लगी। वो नेता कोई और नहीं बल्कि सूबे की सत्ता पर बैठा वह योगी है, जो सामाजिक न्याय के लिए अपनी कुर्सी तक दांव पर लगा चुका है।
अब अपने ज्ञान रुपी गधे को अच्छा चलो घोड़े को दौड़ायें। उससे पहले ही बता देते हैं कि हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात कर रहे हैं। जब मुख्यमंत्री के लिए योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा होने जा रही थी। तब योगी जी काला चश्मा लगाकर बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। लेकिन सबसे दिलचस्प ये है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से सीएम योगी को काले चश्मे के साथ शायद ही देखा गया हो।
खैर उस दिन का रौला ही अलग था। यही वजह रही होगी भगवा वस्त्र के साथ काला चश्में को धारण करना।
योगी आदित्यनाथ एक भारतीय पुजारी और हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञ हैं, जो 20 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। योगी आदित्यनाथ की छवि एक हिंदुत्व फायरब्रांड के रूप में है। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर विधानसभा से 1998 के बाद से संसद सदस्य रहे हैं। वह गोरखनाथ मठ के मुख्य पुजारी भी हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को अजय मोहन बिष्ट के रूप में पंचार गांव उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। योगी आदित्यनाथ की पढ़ाई सन् 1977 में टिहरी के गजा में स्थित स्कूल में पढाई शुरू की सन् 1987 में यहाँ से ही उन्होंने 10वीं की परीक्षा दी।
सन् 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और साथ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े।
अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने 1990 के आसपास अपना घर छोड़ा। वह गोरखनाथ मठ के मुख्य पुजारी महंत अवैद्यनाथ के प्रभाव में आए और उनके शिष्य बने।
इसके बाद, उन्हें ‘योगी आदित्यनाथ’ नाम दिया गया और महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया गया। हालांकि, गोरखपुर में अपनी स्थापना के बाद आदित्यनाथ ने अक्सर अपने पैतृक गांव का दौरा किया।
गोरखनाथ
आदित्यनाथ ने 21 वर्ष की आयु में अपने परिवार को त्याग दिया और गोरखनाथ मठ के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ के शिष्य बने। 12 सितंबर 2014 को उनके शिक्षक महंत अवैद्यनाथ की मृत्यु के बाद उन्हें गोरखनाथ गणित के महंत या महायाजक के पद पर पदोन्नत किया गया था।
योगी आदित्यनाथ को 14 सितंबर 2014 को नाथ संप्रदाय के पारंपरिक अनुष्ठानों के बीच पिता पीठाधीश्वर बनाया गया था।
राजनीति में एंट्री
योगी आदित्यनाथ को 1994 में गोरखनाथ के प्रमुख पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था और चार साल बाद वह भारतीय संसद के निचले सदन के लिए चुने गए थे। वह 12 वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सदस्य थे। लगातार पांच बार वह गोरखपुर से संसद के लिए चुने गए हैं।
साल 1998 योगी आदित्यनाथ सबसे पहले गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और जीत गए। तब उनकी उम्र महज 26 साल थी। इसके बाद अप्रैल 2002 योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। जिसके बाद से उनका सियासी वर्चस्व दोगुनी रफ़्तार से बढ़ता गया।
2007 में गोरखपुर में दंगे हुए, तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया। गिरफ्तारी हुई और इस पर ज़बरदस्त कोहराम भी मचा। इस दौरान योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए।
विवादों से रहा गहरा नाता
योगी आदित्यनाथ एक हिन्दू महंत है जो की कुछ विवाद में भी आ चुके हैं, जिसके चलते सन् 2008 में 07 सितम्बर को आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। जिस हमले में योगी जी बाल बाल बचे।
इस हमले में 100 से भी ज्यादा वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया था और बेचारे निहत्थे लोगों को लहुलुहान भी किया। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान गिरफ्तार किया गया। जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग मे एक हिन्दू युवा की जान चली गयी।
जिलाधिकारी ने बताया कि वह बुरी तरह जख्मी है। तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया परन्तु योगी आदित्यनाथ उस जगह पर जाने को अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की।
अगले दिन उन्होंने शहर के मध्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से साफ मना कर दिया।
योगी आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ़्तारी करवा दी। आदित्यनाथ को सीआरपीसी (CRPC) की धारा (Act) 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत जेल भेज दिया गया। उनपर कार्यवाही का असर हुआ कि मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा दिया।
ये दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में फैला गया था। योगी आदित्यनाथ की गिरफ़्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी हरिओम और पुलिस प्रमुख राजा श्रीवास्तव का तबादला हो गया था। माना तो ये जा रहा था की योगी आदित्यनाथ के दबाव के कारण मुलायम सिंह यादव की उत्तर प्रदेश सरकार को यह कार्यवाही करनी पड़ी।
सन् 2005 में योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर 1800 ईसाईयों का शुद्धीकरण कर हिन्दू धर्म में शामिल कराया। ईसाईयों के इस शुद्धीकरण का कम उत्तर प्रदेश के एटा जिले में किया गया।
विवादित बयान
अक्टूबर 2016: “मूर्ति विसर्जन से होने वाला प्रदूषण दिखता है लेकिन बकरा ईद के दिन हज़ारों निर्दोष पशु काटे गए काशी में, उनका ख़ून सीधे गंगा जी में बहा है क्या वो प्रदूषण नहीं था?”
विवाद
2015 में योगी विवादों में आ गए जब उन्होंने यह टिप्पणी की ” जो व्यक्ति योग के कारण सूर्य नमस्कार का विरोध करते हैं वह भारत छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा जो लोग सूर्य नमस्कार के रूप में सूर्य भगवान में साम्प्रदायिकता देखते हैं। उनके लिए मेरा अनुरोध है कि वह अपने जीवन को त्याग दें।”
योगी आदित्यनाथ का धर्म जीव जंतु से प्यार और सभी जनता के लोगों की सेवा करना है। योगी एक पशु प्रेमी व्यक्ति हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के साथ ही उत्तेर प्रदेश के सारे बूचडखाने (Slaughterhouse) बंद करवा दिए थे।
भाजपा के साथ संबंध
प्रारंभ में योगी आदित्यनाथ के पास भाजपा के साथ एक सुसंगत संबंध नहीं था। हालांकि, धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया और गोरखपुर में कई भाजपा नेताओं ने उनका दौरा किया।
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख भाजपा प्रचारक थे। मार्च 2017 में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता था। वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। सत्ता में आने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में गाय तस्करी, तम्बाकू, पैन और गुटखा पर प्रतिबंध लगा दिया।
राज्य में विरोधी-रोमियो दस्ते बनाए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस में लापरवाही के चलते 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
मुख्य मंत्री का प्रोफ़ाइल रखने के साथ-साथ वह गृह, आवास, राजस्व, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा और दवा प्रशासन, टिकट और रजिस्ट्री, टाउन और देश नियोजन विभाग, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी सहित लगभग 36 मंत्रालयों की देखभाल कर रहे हैं।
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