“एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है”, अटल जी की कुछ बेहतरीन कवितायेँ

भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है। उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है।

"एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है", अटल जी की कुछ बेहतरीन कवितायेँ

उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हट कर अपनाया और उसको जिया। जीवन में आने वाली हर विषम परिस्थितियों और चुनौतियों को स्वीकार किया। नीतिगत सिद्धांत और वैचारिकता का कभी कत्ल नहीं होने दिया। राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा।

राजनीति में धुर विरोधी भी उनकी विचारधारा और कार्यशैली के कायल रहे। पोखरण जैसा आणविक परीक्षण कर दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के साथ दूसरे मुल्कों को भारत की शक्ति का अहसास कराया।

प्रस्तुत हैं  बाजपेयी जी की कुछ बेहतरीन कवितायेँ- 

स्‍वप्‍न देखा था कभी जो आज हर धडकन में है,

एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है,

एक नया भारत, कि जिसमें एक नया विश्‍वास हो,

जिसकी आंखों में चमक हो, एक नया उल्‍लास हो,

हो जहां सम्‍मान हर एक जाति, हर एक धर्म का,

सब समर्पित हों जिसे, वह लक्ष्‍य जिसके पास हो,

एक नया अभिमान अपने देश के जन-जन में है।

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मौत से ठन गई-

ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

आओ मन की गांठें खोलें-

यमुना तट, टीले रेतीले,
घास फूस का घर डंडे पर,
गोबर से लीपे आंगन में,
तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर।
मां के मुंह से रामायण के दोहे चौपाई रस घोलें,
आओ मन की गांठें खोलें।

बाबा की बैठक में बिछी चटाई बाहर रखे खड़ाऊं,
मिलने वालों के मन में असमंजस, जाऊं या ना जाऊं,
माथे तिलक, आंख पर ऐनक, पोथी खुली स्वंय से बोलें,
आओ मन की गांठें खोलें।

       

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