चाचा-भतीजावाद पर उपराष्ट्रपति का प्रहार, कहा – लोकतंत्र के लिए घातक है वंशवाद

देश के लोकतंत्रनई दिल्ली। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति एम. वैंकया नायडू ने राजनीतिक दलों पर तंज कसते हुए कहा कि लोकतंत्र के लिए वंशवाद अत्यंत घातक होता है। किसी भी देश का लोकतंत्र और परिवारवाद साथ नहीं आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा आजादी के बाद से अब तक सौ प्रतिशत मतदान नहीं हो पाना चिंता जनक है।

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शुक्रवार को उपराष्ट्रपति एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। जहां उन्होंने किसी भी राजनीतिक पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि वंशवाद देश के लोकतंत्र को कमजोर करता है। यह हमेशा अपना पक्ष ही देखता है। वंशवाद एक घृणित प्रवृत्ति है।

उन्होंने कहा कि चाहे संसद का चुनाव या पंचायत का सभी चुनावों को एक साथ करवाने की जरुरत है। इन चुनावों में शिक्षित लोगों की भागीदारी बेहद जरुरी है।

उन्होंने कहा आजादी के बाद से अब तक सौ प्रतिशत मतदान नहीं हो पाना चिंता जनक है। खासकर शहरी तबका, जहां ज्यादातर लोग शिक्षित है। यह तबका केवल सिस्टम को कोसने में अपना वक़्त बर्बाद कर रहा है। लेकिन खुद को पूरी तरह से नहीं जोड़ना चाहता है।

कार्यक्रम में मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोती भी मौजूद थे। नायडू ने चुनाव आयोग से मतदाता पंजीकरण अभियान में शिक्षित वर्ग की शतप्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रभावी उपाय करने को कहा। उन्होंने कहा कि देश में साल भर चलने वाले चुनाव लोकतंत्र के पर्व को बोझिल बना देते हैं।

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बता दें कुछ दिन पहले राहुल गाँधी अमेरिका की यात्रा पर थे। जहां उन्होंने कहा था कि भारत में वंशवाद है। चाहे वह राजनीतिक पार्टियाँ हो या फ़िल्मी जगत के लोग। उन्होंने ने कहा कि ज्यादातर पार्टियों के साथ यह समस्या है। अखिलेश यादव भी वंशवादी हैं। स्टालिन भी वंशवादी हैं। भाजपा के प्रेम कुमार धूमल के बेटे भी वंशवादी हैं। भारत ऐसे ही चलता है। तो केवल मेरे पीछे नहीं पड़ें।

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