भारतीय वैज्ञानिकों ने खोज निकाला Covid-19 का रामबाण, बाजार में जल्द ही आएगा कोरोनारोधी दवा

दिलीप कुमार

भारत में जहां एक ओर कोविड-19 के टीकाकरण के मामले लगभग पूर्णता की ओर बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर देश कोरोना का दवा का इजात कर लिया है। आपको बता दें भारतीय विज्ञान संस्थान(IISc) बेंगलुरू के एक शोधकर्ता दल ने कोरोना वायरस का दवा बनाने में लगभग सफल हो चुका है। दरअसल शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में पाए जाने वाले पिकोलिनिक एसिड के एंटी वायरस गुण का पता लगाया है। इस एसिड की सबसे खास बात यह है कि यह कोरोना वायरस को मानव शरीर में घुसने पहले हि निष्क्रिय कर देता है।

इस एसिड का पता लगाने वाले शोधकर्ताओं के दल में 14 सदस्य हैं। इस दल के प्रमुख शशांक त्रिपाठी ने बताया कि इस एसिड का प्रयोग जानवरों पर किया गया तो वहां सही संकेत मिला है। अब इस एसिड का परीक्षण इंसानो पर किया जाना है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस एसिड से दवा बनाने के लिए हम फार्मा साझेदारों की खोज में हैं।

शशांक त्रिपाठी इस दवा के प्रक्रिया को समझाते हुए बताय कि कोई भी वायरस किसी भी शरीर को संक्रमित करने के लिए तीन चरण अपनाता है। पहला जब वायरस मानव कोशिका में प्रवेश करता है। दूसरा जब मानव कोशिका में वायरस अपनी संख्या को बढ़ता है और तीसरा चरण में, व्यापक संख्या में पैदा हुए वायरस कोशिका से बाहर आकर अन्य कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। उन्होंने बताया कि मानव शरीर में पिकोलिनिक एसिड नेचुरल रूप से सेक्रेट होता है। उन्होंने बताया कि हमें अपने शोध में पता चला कि पिकोलिनिक एसिड आवरणयुक्त वायरस को मानव कोशिका में प्रवेश करने से रोकता है। कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2), इनफ्लूएंजा ए वायरस (आइएवी), जीका, डेंगू आदि आवरणयुक्त विषाणु के उदाहरण हैं।

त्रिपाठी ने आगे बताते हुए कहा कि पिकोलिनिक एसिड से बनने वाली दवा को कोरोना वायरस के संक्रमण से पहले या संक्रमण के दौरान कभी भी लिया जा सकता है। दोनों ही परिस्थितियों में यह संक्रमण को रोकेगी। उन्होंने बताया कि यह दवा मुंह के माध्यम से या टीके के जरिए ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह दवा रोटा जैसे गैर आवरणयुक्त वायरस पर प्रभावकारी नहीं होगी। इस शोध के लिए आइआइएससी की ओर से पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है।

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