
भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) जल्द ही हस्ताक्षरित होने की कगार पर है। ओमान के भारत में राजदूत ईसा सालेह अब्दुल्ला सालेह अलशिबानी ने 21 सितंबर 2025 को पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि इस समझौते से जुड़ी वार्ताएं नवंबर 2023 से शुरू हुई थीं और अब पूरी हो चुकी हैं। वर्तमान में, समझौते का पाठ अरबी में अनुवादित किया जा रहा है, और दोनों देशों की सरकारें विधायी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अंतिम रूप दे रही हैं। राजदूत ने कहा, “हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द हम हस्ताक्षर के चरण तक पहुंच जाएंगे।”
CEPA का महत्व और उद्देश्य
भारत-ओमान CEPA का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को ऊर्जा क्षेत्र से आगे बढ़ाकर विविध वस्तुओं और सेवाओं तक विस्तार करना है। यह समझौता अधिकतम व्यापारिक वस्तुओं पर सीमा शुल्क को कम करने या समाप्त करने, सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने, और निवेश को आकर्षित करने के लिए नियमों को सरल बनाएगा। 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर चुका है, जिसमें भारत के निर्यात 4.06 बिलियन डॉलर और आयात 6.55 बिलियन डॉलर रहे। भारत के आयात में 70% से अधिक हिस्सा पेट्रोलियम उत्पादों और यूरिया का है, जबकि अन्य प्रमुख उत्पादों में प्रोपलीन, एथिलीन पॉलिमर, पेट कोक, जिप्सम, रसायन, और लोहा-इस्पात शामिल हैं।
रणनीतिक महत्व
ओमान, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। उसकी सामरिक स्थिति, विशेष रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य के पास, जहां से वैश्विक तेल शिपमेंट का 20% हिस्सा गुजरता है, इसे वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। CEPA भारत को इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करेगा, खासकर जब चीन अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा रहा है। यह समझौता न केवल व्यापारिक बाधाओं को कम करेगा, बल्कि भारत और ओमान के बीच रक्षा सहयोग, समुद्री सुरक्षा, और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी बढ़ावा देगा।
आर्थिक प्रभाव
Oman Vision 2040 के तहत, ओमान अपनी अर्थव्यवस्था को तेल और गैस पर निर्भरता से कम करने की दिशा में काम कर रहा है। CEPA इस लक्ष्य को समर्थन देगा, क्योंकि यह गैर-तेल निर्यात को बढ़ावा देगा, निजी क्षेत्र की भूमिका को मजबूत करेगा, और युवा ओमानियों के लिए रोजगार सृजन करेगा। भारतीय कंपनियों के लिए, ओमान का खाजेन आर्थिक क्षेत्र (Khazaen Economic City) औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में निवेश के अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य प्रसंस्करण में। ओमान में पहले से ही 700 भारतीय कंपनियां निवेश कर चुकी हैं, और यह समझौता और अधिक निवेश को आकर्षित करेगा।
भारत की व्यापक व्यापार रणनीति
भारत ने हाल के वर्षों में कई मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें मॉरीशस (2021), यूएई और ऑस्ट्रेलिया (2022), EFTA (2024), और यूके (2025) शामिल हैं। इसके अलावा, भारत यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पेरू, चिली, न्यूजीलैंड, और अमेरिका के साथ भी व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। भारत-ओमान CEPA इन प्रयासों का हिस्सा है, जो भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।