IMF से कर्ज लेना पाकिस्तान के को पड़ा महंगा , करना पड़ा कड़ी शर्तों का पालन…

नई दिल्ली :  कई महीनों की वार्ता के बाद पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच प्रारंभिक समझौता हो गया है।मुद्रा कोष पाकिस्तान को छह अरब डॉलर का राहत पैकेज देगा। इस बात की जानकारी पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने एक सरकारी टीवी चैनल पर दी।

 

पाकिस्तान
बता दें की वित्त मंत्रालय के प्रमुख अब्दुल हफीज शेख ने पाकिस्तान के सरकारी टीवी चैनल पर कहा, “आईएमएफ के कर्मचारियों के साथ हम एक समझौते पर पहुंचे हैं, जिसके तहत अगले तीन साल के लिए छह अरब डॉलर का कर्ज दिया जाएगा। इस पैसे को कहां-कितना लगाना है ये देखना होगा, लेकिन हम कोशिश करेंगे कि कम आय वाले लोगों पर कम से कम बोझ पड़े हैं।
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देखा जाये तो आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने महंगाई, उच्च कर्ज और सुस्त विकास की समस्याओं से निबटने की जरूरत को स्वीकार किया है।आईएमएफ ने कहा है कि वो देश में कर सुधारों का समर्थन करती है और इससे खर्च में बढोतरी होगी।

जहां पाकिस्तानी सरकार के एक सलाहकार अब्दुल हफीज के मुताबिक पाकिस्तान बिना आर्थिक मदद के अपने व्यापारिक घाटे को पूरा नहीं कर सकता है। लेकिन आईएमएफ के प्रबंधन और उसके कार्यकारी बोर्ड ने अब तक इस समझौते की आधिकारिक पुष्टी नहीं की है, लेकिन पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रविवार को स्टाफ स्तर पर हुई बातचीत काफी अहम रही, “जिसके आधार पर नए कर्ज के लिए समझौता हुआ हैं।

वहीं आईएमएफ ने अपनी वेबसाइट पर इस कदम की घोषणा की है। उसने कहा, “पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। उसके विकास की रफ्तार धीमी हो गई है, महंगाई बढ गई है, वो कर्ज में डूब गया है और वैश्विक स्तर पर भी उसकी स्थिति अच्छी नहीं है।

जहां दक्षिण एशिया का ये देश बीते एक साल से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस दौरान उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम होकर दो महीने के आयात से भी कम रह गया है।

दरअसल पिछले साल सत्ता में आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर विपक्ष फंड के लिए कोशिशों में देरी करने का आरोप लगाता रहा है। विपक्ष का आरोप है कि पद संभालने के बाद उन्होंने फंड के लिए बातचीत में नौ महीने से भी ज्यादा का वक्त लगा दिया। दरअसल, उन्हें उम्मीद थी कि सऊदी अरब, संयुक्त राष्ट्र अमीरात और चीन जैसे सहयोगियों से पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिल सकती है।

लेकिन तीनों देशों की ओर से मुद्रा भंडार बढ़ाने में समर्थन के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संभल नहीं सकी। इसके बाद पिछले महीने ही वित्त मंत्री असद उमर ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह अब्दुल हाफीज शेख ने ले ली। और ऐसा माना जाता है कि उमर ने फंड के लिए बातचीत में देरी की और मदद के लिए दोस्त देशों पर निर्भरता जताई।

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक पाकिस्तान को रुपए के एक्सचेंज रेट में फ्री-फ्लोटिंग मेकेनिजम पर फंड मिल रहा था। लेकिन 2017 से लेकर अब तक उसका करीब 34 फीसदी अवमूल्यन हो गया।आईएमएफ की घोषणा से लग रहा है कि पाकिस्तान ने मांग को मान लिया है।

आईएमएफ ने घोषणा की हैं बाजार-निर्धारित विनिमय दर से वित्तीय सेक्टर को चलाने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था में संसाधनों को बेहतर तरीके से बांटने में भी सहयोग मिलेगा। प्रशासन पाकिस्तान के स्टेट बैंक के स्वंतंत्र संचालन को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

एक पाकिस्तानी बैंक के अध्यक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर रुपये की कीमत में और गिरावट आती है तो विपक्ष प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ और हमलावर हो सकती है। जहां उन्होंने कहा हैं की रुपये में अब तक की गिरावट से ही बहुत नुकसान हो चुका है और गिरावट सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।

प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही आईएमएफ के पूर्व कर्मचारी रजा बाकिर को केंद्रीय बैंक का नया गवर्नर बनाने की वजह से विपक्ष के निशाने पर हैं। इससे पहले केंद्रीय बैंक के जो गवर्नर थे, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

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