‘प्रथम’ नाम का सेटेलाइट बनाया IIT बॉम्बे के छात्रों ने, ISRO जल्द करेगा लॉन्च

 IIT बॉम्बेनई दिल्‍ली। IIT बॉम्बे के छात्रों ने कमाल का काम कर डाला है। हैरानी वाली बात यह है कि इस काम में उनका साथ बड़े-बड़े संस्‍थान दे रहे हैं। बंगलुरू के इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के सेटेलाइट सेंटर में आईआईटी बॉन्बे के छह छात्र इंस्टीट्यूट के पहले स्टूडेंट सेटेलाइट के प्री-लॉन्च की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

पिछले आठ सालों से इस सेटेलाइट के लॉन्च की बात चल रही थी लेकिन किन्हीं कारणों से यह संभव नहीं हो पा रहा था। लेकिन इस साल आखिरकार यह लॉन्च होने जा रहा है।

ISRO के पब्लिक रिलेशन के डायरेक्टर देवीप्रसाद कार्निक ने कहा, ‘लॉन्च की तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी। छात्रों को 26 सितम्बर तक अपना काम पूरा करने के लिए कह दिया गया है। इस सेटेलाइट का कॉन्सेप्ट 2007 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के दो छात्रों सप्तर्षी बंद्दोपाध्याय और शशांक तमस्कर ने तैयार किया था। 2009 में ISRO के साथ मेमोंरेंडम ऑफ अन्डरस्टेंडिंग साइन किया गया था। इसे बाद में 2014 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।’

आआईटी बॉम्बे को छात्रों पर है गर्व

इस समय टीम में 30 छात्र हैं, जिसमें से 9 कोर टीम के हैं। प्रोजेक्ट मैनेजर मानवी धवन कहती हैं, ‘हम बहुत उत्साहित हैं। इतने सालों का सपना पूरा होने वाला है।’ इस सेटेलाइट का विस्तार 30।5cm X 33।5cm X 46।6 से।मी है और इसका वजन 10 किलोग्राम है।

यह भी पढ़ें: आर्ट्स में ग्रेजुएशन के बाद क्‍या हैंं करिअर के विकल्‍प

कोर टीम के सदस्य सुमित जैन कहते हैं, ‘जीपीएस लोकेशन बताने के अलावा ‘प्रथम’ सुनामी की भविष्यवाणी भी करेगा। ISRO ने सिर्फ छात्रों को इसकी टेस्टिंग की सुविधा मुहैया कराई है साथ ही ISRO इसका सारा खर्च भी उठा रहा है।

टीम के सबसे छोटे सदस्य हर्षद जालान कहते हैं, ‘ISRO के वैज्ञानिक ‘जीरो एरर पॉलिसी’ पर काम करते हैं, इसलिए हमसे भी सारे काम बिना किसी गड़बड़ी के करने की उम्मीद की जाती थी। कभी-कभी तो ऐसा होता था कि लैब में 30 घंटे लगातार काम करने के बाद हमें बस एक घंटा गलतियां सुधारने के लिए मिलता था।

इन छात्रों के सामने एक ओर समस्या थी। मानवी कहती हैं, ‘टीम के सदस्य हर सेमेस्टर बदल जाते थे। सारे काम को अच्छे तरीके से लिखा जाता था ताकि नए सदस्यों को काम आगे दिया जा सके। छात्रों का चयन लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए किया जाता था।’ टीम को मॉनिटर करने वाले प्रोफेसर आर्या कहते हैं, ‘छात्रों को अपना केस प्रेजेंट करते हुए देखना और रिव्यू मीटिंग के दौरान उन्हें ISRO के वैज्ञानिकों को अपनी बात समझाते हुए देखना मेरे लिए गर्व की बात थी।’

LIVE TV