हिमाचल चुनाव : ‘पालमपुर’ में विरासत और खुद को साबित करने की जंग

हिमाचल चुनावनई दिल्ली। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव राज्य के दिग्गज नेताओं के राजनीतिक सफर के लिए भी याद किया जाने वाला है। एक तरफ जहां कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार विद्या स्टोक्स का राजनीतिक करियर विवादों के बाद समाप्त हो गया, तो वहीं एक नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने एक अरसे से कायम अपने दबदबे और अपनी विरासत को अपने बेटे के हाथों सौंप राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है। कांग्रेस के कद्दावर नेता और हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने राजनीति को अलविदा कह दिया है।

सीट संख्या-19 यानी पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में 2012 के चुनाव के वक्त कुल 64,197 मतादाताओं ने अपने मत का प्रयोग कर क्षेत्र में कांग्रेस को कमान सौंपी थी। चाय बागानों और देवदार के घने वनों से घिरा पालमपुर उत्तर पश्चिम में स्थित एक खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

पालमपुर दुनिया भर में पैरा ग्लाइडिंग, पर्वत श्रृंखलाओं के सुंदर दृश्य, प्राचीन मंदिरों और 100 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाली बंदला नदी के लिए भी जाना जाता है। ठंड के दिनों में बर्फबारी के कारण यहां विंटर स्पोर्ट्स की गतिविधियां आम हैं।

राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो पालमपुर अति विशिष्ट क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र की जनता ने हमेशा ही जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर मतदान किया है। इसका उदाहरण इस क्षेत्र के मौजूदा विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता बृज बिहारी लाल बुटेल है।

बुटेल सूद बिरादरी से आते हैं। हैरत की बात यह है कि इस क्षेत्र में सूद बिरादरी का प्रतिशत 2 फीसदी से अधिक नहीं है। पालमपुर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में शिक्षा हब के रूप में जाना जाता है। चाय के बागानों के कारण यह क्षेत्र एक व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरा है।

बात करें क्षेत्रीय राजनीति की तो मौजूदा विधायक बृज बिहारी लाल राजनीति को अलविदा कह चुके हैं। बृज ने इस क्षेत्र से 1985,1993,1998,2003 और 2012 में चुनाव जीता था। 76 वर्षीय बुटेल स्वास्थ्य कारणों से चुनावी मैदान से बाहर है। सहकारिता आंदोलन से जुड़े बृज लाल ने समाज सेवा के रूप में अनूठी छाप छोड़ी है। बृज राज्य में सरकार के अंदर कई मंत्रियों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। बृज लाल ने 9 जनवरी 2013 को विधानसभा अध्यक्ष का पदभार संभाला था।

विधानसभा चुनाव 2017 मे बृज लाल के अलविदा कहने के बाद कांग्रेस ने उनके बेटे आशीष बुटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। आशीष का यह पहला चुनाव है। आशीष ने युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। आशीष प्रदेश कांग्रेस सचिव होने के साथ साथ ऊना व कुल्लू जिले के सह प्रभारी भी रह चुके हैं। इस चुनाव में आशीष पर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का दबाव होगा।

वहीं भाजपा में इस सीट को लेकर चली खींचतान ने पालमपुर को हॉट सीट में तब्दील कर दिया है। दरअसल, पालमपुर विधानसभा से लगातार तीन चुनाव लड़ चुके प्रवीण कुमार ने टिकट न मिलने के कारण पार्टी के खिलाफ चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।

इन तीन चुनाव में दो बार कांग्रस और एक बार उन्हें जीत मिली है। भाजपा ने इस दफा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष इंदु गोस्वामी को मैदान में उतारकर कांग्रेस के लिए राह मुश्किल कर दी है। इंदू को टिकट मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने पालमपुर में रैली कर उन्हें जीताने की अपील की थी।

इसके अलावा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के बाल मुकुंद, माकपा के लेख राज और भाजपा से पत्ता कटने के बाद प्रवीण कुमार निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। पालमपुर विधानसभा सीट पर विरासत और खुद को साबित करने की जंग में जीत किसकी होगी यह देखना दिलचस्प रहेगा। हिमाचल प्रदेश में 68 सदस्यीय विधानसभा का चुनाव 9 नवंबर को होगा। मतों की गणना 18 दिसंबर को होगी।

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