शिबू सोरेन के निधन पर हेमंत सोरेन की भावुक श्रद्धांजलि: “झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया”

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का 4 अगस्त को 81 वर्ष की आयु में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे डेढ़ महीने से किडनी रोग और स्ट्रोक के कारण जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट में अपने पिता को श्रद्धांजलि दी, जिसमें उन्होंने शिबू सोरेन को न केवल अपने पिता, बल्कि झारखंड की आत्मा का स्तंभ और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बताया।

हेमंत सोरेन की भावुक श्रद्धांजलि
हेमंत ने लिखा, “मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।” उन्होंने शिबू सोरेन को ‘दिशोम गुरु’ कहकर संबोधित किया, जो झारखंड की जनता द्वारा दी गई उपाधि थी, जिसका अर्थ है समाज को रास्ता दिखाने वाला गुरु। हेमंत ने अपने पिता के साधारण शुरुआत, नेमरा गांव में गरीबी और शोषण के खिलाफ उनके संघर्ष, और झारखंड राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका को याद किया। उन्होंने कहा, “बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया। उनका संघर्ष उनकी फटी एड़ियों, पसीने और आवाज में था।”

शिबू सोरेन का जीवन और संघर्ष
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) के रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। बचपन में पिता की हत्या और जमींदारी शोषण ने उन्हें 18 साल की उम्र में संथाल नवयुवक संघ बनाने के लिए प्रेरित किया। 1972 में उन्होंने बिनोद बिहारी महतो और एके रॉय के साथ झामुमो की स्थापना की, जिसने आदिवासी भूमि अधिकारों और अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन को तेज किया। 15 नवंबर 2000 को झारखंड के गठन में उनकी भूमिका अहम थी। वे तीन बार मुख्यमंत्री (2005, 2008-09, 2009-10), आठ बार दुमका से लोकसभा सांसद, तीन बार राज्यसभा सांसद, और 2004-2006 में तीन बार केंद्रीय कोयला मंत्री रहे।

हेमंत का संकल्प
हेमंत ने अपने पिता के सपनों को पूरा करने का वादा किया, लिखा, “आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा।” उन्होंने शिबू सोरेन को झारखंड की हर पगडंडी, खेत की मिट्टी और गरीब की आंखों में जीवित बताया। हेमंत ने कहा, “आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें आपके नक्शे-कदम पर चलना है। वीर शिबू जिंदाबाद, दिशोम गुरु अमर रहें।”

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, और राजद नेता लालू प्रसाद यादव सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। मुर्मू ने कहा, “उनका निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बड़ी क्षति है।” मोदी ने उन्हें “जमीनी नेता” बताया, जो आदिवासियों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित थे। लालू ने उन्हें दलितों और आदिवासियों का महान नेता बताया। झारखंड सरकार ने 4 से 6 अगस्त तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया, जिसमें राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।

अंतिम यात्रा
शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर 4 अगस्त की शाम रांची लाया गया और मोरहाबादी स्थित उनके आवास पर रखा गया। 5 अगस्त को सुबह 9 बजे इसे झारखंड विधानसभा में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, फिर रामगढ़ के नेमरा गांव में अंतिम संस्कार होगा।

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