राज्य में नौ सौ करोड़ रुपये की स्वास्थ्य सुधार योजना को तगड़ा झटका

देहरादून। सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए स्वीकृत 900 करोड़ की हेल्थ डेवलपमेंट परियोजना को एक बड़ा धक्का लगा है। कोई भी बड़ा ग्रुप सूबे के असपतालों को पीपीपी मोड पर चालाने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं। जबकि दो बार टेंडर दिया गया है। पिछले साल नवम्बर में हेल्थ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी। हालांकि उस समय सरकार का गठन हुआ लेकिन साथ ही यह शुरू भी हो गया।

टेंडर की प्रक्रिया पूरी होते ही योजना के तहत मरीजों को जिलों में ही समस्त इलाज की सारी सेवाएं मिलनी थी लेकिन टेंडर की प्रक्रिया बीच में ही लटक जाने से योजना का फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यन्त बुरा हाल है।

जबकि 27 सौ पद हैं डॉक्टरों के लेकिन सिर्फ 12 सौ डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। 108 एंबुलेंस सेवा का हाल भी लगातार खराब हो रहा है। जबकि ऐसे में इस परियोजना से सरकार को बड़ी आशा थी। यहां तक कि खुद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि इस योजना का अभी तक शुरू न हो पाना विभाग के लिए एक बड़ा झटका है।

हेल्थ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में टिहरी जिला अस्पताल, बेलेश्वर और देवप्रयाग अस्पताल को पीपीपी मोड पर देकर आपस में जोड़ा जाना था। दूसरे चरण में ऊधमसिंह नगर और फिर अन्य जिलों में इस योजना का विस्तार किया जाना था।

जिलों के अस्पताल किसी बड़े ग्रुप को देकर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होना था। लेकिन किसी कंपनी के सामने न आने से पूरी योजना बीच में लटक गई है। जो कि नहीं सुधार नही हो पाया। बार टेंडर होने के बावजूद कोई बड़ा ग्रुप अस्पताल लेने को तैयार नही है। इस योजना के तहत अस्पतालों के अलावा एम्बुलेंस और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूत किया जाना था।

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