‘मलाई’ खा रहे मंत्रालयों पर सरकार का वार, सिर्फ काम के बदले ही मिलेगा पैसा

नई दिल्ली: सरकारी तंत्र और सरकारी नीतियां जनता के लिए होती हैं जिनकी रूपरेखा का निर्धारण मंत्रालयों के द्वारा किया जाता है. राजीव गांधी सरकार के समय जनता में इस बात को लेकर काफी रोष था कि सरकारी तंत्र से चलने वाले 100 रूपए में सिर्फ 10 रूपए ही जनता के हितों के लिए सार्थक हो पाते हैं.

सरकारी नीतियां

सरकार ने अब सीधे तौर पर जनता की जरूरतों को पूरा करने और मंत्रालयों की लेटलतीफी से जनता को निजात दिलाने का रास्ता निकाल लिया है.

अब मंत्रालयों को बजट का आवंटन उनके द्वारा किये गये कार्य के आधार पर किया जायेगा. जैसा काम वैसा पैसा. जिस विभाग का काम अच्छा होगा उससे इनाम और जिसके काम में आनियमितता पाई गयी उसको आवंटित होने वाले बजट का काम तमाम किया जायेगा.

विभिन्न मंत्रालयों को होने वाला आवंटन प्रदर्शन यानी उनके पिछले काम के टारगेट पूरा करने के आधार पर करने की योजना तैयार हो गई है. हर मंत्रालय के लिए प्रदर्शन आधारित ‘आउटकम बजट’ निर्धारित करने का प्लान संसद में शुक्रवार को पेश हो सकता है.

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आउटकम बजट एक तरीका है जिसमें हर कार्यक्रम के क्रियान्वयन और उसके नतीजे का विश्लेषण कर फिर उसके आधार पर आगे का बजट तय किया जाता है. सिर्फ इस आधार पर मूल्यांकन नहीं किया जाता कि पैसा कितना खर्च हुआ.

इसके जरिये यह देखा जाएगा है कि कितना काम हुआ मसलन कितने किलोवॉट बिजली पैदा की गई या कितने किमी सड़क बनाई गई.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि 9 फरवरी को संसद में एक ऐसा दस्तावेज पेश किया जाएगा जो एक प्रदर्शन आधारित विस्तृत आउटकम बजट दस्तावेज होगा. नीति आयोग इस पर छह महीने से काम कर रहा है और प्रदर्शन आधारित इस दस्तावेज में लाइन बाइ लाइन 740 मद तैयार किए हैं जिसे हर मंत्रालय को अपनाना होगा. हर लाइन में मंत्रालय के लिए टारगेट निर्धारित है.

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उन्होंने आगे बताया कि जनता की मूलभूत जरूरतों कर लिए सर्वे की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जाएगी जिससे सीधे तौर पर जनता की जरूरतों को समझा जा सके और उनको पूरा करने में आसानी हो सके. नीति अयोग पहली बार सभी घरों के सर्वे के आधार पर रोजगार आंकड़े जारी करने की योजना बना रहा है.

आंकड़ा इस साल अक्टूबर माह में जारी किया जाएगा जिसके बाद हर तिमाही सर्वे आधारित रोजगार आंकड़े जारी किए जाएंगे.

नीति आयोग द्वारा एक पेरोल डेटा यूनिट भी तैयार करने की कोशिश की जा रही है. नीति आयोग का स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स तैयार है और यह जल्दी ही सभी राज्यों में जारी किया जाएगा. इस इंडेक्स से देश में स्कूली शिक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी.

 

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