Govardhan 2020: श्री कृष्ण से पहले इन भगवान ने उठाया था गोवर्धन पर्वत, साथ ही दिया था यह वरदान

गोवर्धन पूजा का भी हिंदुओं के लिए बहुत महत्व होता है। यह पर्व दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊंगली पर धारण किया था। कहा जाता है कि गोकुल के लोग इंद्र के प्रकोप से तंग आकर भगवान से गुहार लगायी थी जिसके बाद अपने भक्तों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा गोकुलवासियों को सहारा दिया था। हम में से कई लोग सिर्फ यही जानते हैं कि गोवर्धन पर्वत को श्री कृष्ण ने ही उठाया था पर आप लोगों को बता दें कि भगवान श्री कृष्ण से पहले भी गोवर्धन पर्वत को उठाया जा चुका है। यदि आप नही जानते कि श्री कृष्ण से पहले इस विशाल पर्वत को किसने उठाया था तो आज हम आपको इसकी पूरी कहानी बताएंगे। तो आइये जानते हैं क्या है वह कथा।

यदि बात करें पौराणिक कथाओं की तो उनके मुताबिक जब भगवान श्री हरि ने प्रभु श्री राम का अवतार लिया था। उस समय जब प्रभु श्री राम अपनी वानर सेना के साथ लंका जा रहे थे तो उन्हें समुद्र पार करना था। जिसके बाद वानरों में से नल और नील ने पुल निर्माण का कार्य किया। पुल निर्माण में कई पत्थरों की अवश्यक्ता थी जिसको पूर्ण करने के लिए हनुमान जी हिमालय चले गए थे। हनुमान जी ने हिमालय पहुंच कर एक पर्वत को उछा लिया और सीधा समुद्र के मार्ग पर चल दिये। लेकिन जब हनुमान जी रास्ते में ही थे तो उन्हें पता चल गया कि सेतु निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। जिसके बाद उन्होंने उस पर्वत को वहीं रखने का फैसली किया। कहा जाता है कि जिस पर्वत को हनुमान जी ने वहां रखा था वह कोई और नही बल्कि गोवर्धन पर्वत ही थी।

हनुमान जी के द्वारा उस पर्वत को रखने पर उस गोवरधन पर्वत उदास हो गया। जब हनुमान जी ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि मै ना तो प्रभु श्री राम के काम आ सका और ना ही मै अपने स्थान पर रह सका। गोवर्धन पर्वत की उदासी देख हनुमान जी को उस की दशा पर दया आ गई। कहा जाता है कि दया आने के बाद हनुमान जी ने गोवर्धन पर्वत से कहा था कि द्वापर युग में भगवान श्री राम भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लेंगे। साथ ही भगवान श्री कृष्ण अपको अपनी ऊंगली पर उठाकर आपको देवता का रूप देंगे।

जिसके बाद से सभी आपकी पूजा करेंगे। मान्यता है कि हनुमान जी की इसी बात के कारण द्वापर युग में अवतरित भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊंगली पर उठा गोकुलवासियों की सहायता की थी। जिसके बाद से लोग गोवर्धन पर्वत को भगवान का दर्जा दे उनकी पूजा करते हैं। इसलिए दीवाली के दो दिन बाद गोवर्धन पूजा की जाती है।

LIVE TV