मेडिकल साइंस पर भारी ये जड़ी बूटियां, कहीं और नहीं इन बीमारियों का इलाज

जड़ी बूटियांनई दिल्ली। अक्सर कई लोग ऐलोपैथिक से हार मानकर अंत में आयुर्वद का सहारा लेते हैं। कई बार ऐसी बीमारियां सामने आती हैं जिसका उपचार ऐलोपैथिक के पास भी नहीं होता है। प्राचीन काल से चला आ रही जड़ी बूटियां बिना नुकसान दिए ही कई बड़ी बीमारियों का चुटकियों में इलाज कर देता है।

मंहगी-मंहगी दवाइयों से ज्यादा असरदार आयुर्वेदिक उपचार होता है जोकि आसानी से पाया जा सकता है। आयुर्वेद जड़ी-बूटियां गंभीर से गंभीर रोगों से छुटकारा दिलाता है। तो चलिए जानते हैं आयुर्वेद का वो उपचार जो मुर्दें में भी जान डाल देती है।

बता दें कि जबलपुर स्थित प्रदेश के इकलौते स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी एसएफआरआई में औषिधियों की अलग नर्सरी बनी हुई है। इन पर रिसर्च भी किया गया है।

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एसएफआई से जुड़े वैज्ञानिक दावा भी करते हैं कि उनके पास मौजूद औषधियों की करीब 425 प्रजातियां, विभिन्न रोगों पर खासी कारगर हैं। उनका औषधीय उपयोग करके लोगों को राहत पहुंचाई जा सकती है।

इन औषधियों में कई प्रसव पीड़ा, लिवर-किडनी, डायबिटीज, सिर दर्द, बुखार, पाइल्स, उदर रोग, श्वांस रोग समेत अन्य कई जटिल रोगों के उपचार में लायी जाती हैं। एसएफआरआई से जुड़े पौध विज्ञानी मानते हैं कि इन औषधियों पर अब खूब शोध हो रहे हैं। ये रोगों के इलाज में कारगर भी साबित हो रही हैं। इसके साथ ही जहरीले विषधरों, जंतुओ, व मांसाहारी जानवरों के काटने से चढ़ने वाला जहर भी इन जड़ी-बूटियों के प्रभाव से उतर जाता है।

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चलिए जानते हैं जड़ी-बूटियों और उनके प्रयोग के बारे में-

अर्जुन- अर्जुन का प्रयोग हृदय रोग और प्रमेह आदि स्थिति में किया जाता है।

चित्रक या चीता- इसका प्रयोग बंद नाड़ी की पुनर्गति, दूधवृद्धि, आंव, पेट में जलन, सांप काटने के समय किया जाता है।

अपराजिता- सिर में दर्द, गलगंड, स्वरभंग, पीलिया होने पर अपराजिता का प्रयोग किया जाता है।

ईश्वरमूल- खांसी, पीलिया, बुखार, वात रोग में उपयोगी। बलवर्धक, मासिक धर्म में लाभकर, उत्तेजक

ब्रह्मदंडी-कमजोरी व मज्जातंत्र में लाभदायक, पौरुषवर्धक

निर्मुण्डी- मिर्गी, कान के रोग, खांसी, घेंघा का रामबाण इलाज, यौन शक्तिवर्धक

आरारोट-पाचक, रक्तपित्त, खूनी बवासीर, कब्ज आदि उदर व्याधिनाशक

अडूसा- रक्त विकार, यक्ष्मा (टीबी) का अचूक इलाज

शतावर- खूनी खांसी, नपुंसकता, वात रोग, गठिया रोग में लाभकर

दूधी-कफजन्य रोग, कुकर खांसी, साईटिका के लिए अचूक औषधि

अश्वगंधा- टीबी, हृदयशूल, खांसी में लाभकर, गर्भधारण में सहायक

बिच्छूबटी- गुदा रोग, बांझपन का निदान

बायबिडंग- गर्भनिरोधक, त्वचा रोग का निदान, जुकाम, वात रोगों का इलाज

अगिया- कृमिनाशक, खांसी, कफजन्य रोग व अतिसार में लाभप्रद

नागकेशर- हिचकी, बवासीर, हैजा व हाथीपांव रोगों का रामबाण इलाज

गिलोय- बुखार, खांसी, सांस की बीमारियों का अचूक नुस्खा

गंधपूर्वा- गठिया, फुफ्फुसजनित रोगों में लाभप्रद

सुदर्शन- कान का रोग, सूजन-दर्द, गठिया वात रोगो में फायदेमंद

मुस्कानी- मुंह के छाले, गले की समस्याएं, कंठजनित रोग आदि में रामबाण

भटकटैया- दंतरोग, कुष्ठरोग, त्वचा विकारों में अचूक इलाज

कुचला- प्रसववेदनाहरी, नंपुसकता दूर करने वाला, बिच्छू, कुत्ते का जहर निकालने में

रामसर- यौनशक्तिवर्धक, त्वचा रोग की औषधि, गर्भपात के लिए उपयोग

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