
वाराणसी में गंगा नदी ने रात 12 बजे खतरे के निशान 71.26 मीटर को पार कर 71.31 मीटर तक पहुंच गई। 84 घाटों को डुबोने के बाद गंगा का पानी अब शहर की सड़कों पर बह रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार से गंगा केवल 14 सीढ़ी नीचे है, जबकि दशाश्वमेध घाट की सिर्फ तीन सीढ़ियां बाकी हैं। अस्सी घाट पर पानी सड़क तक पहुंच गया है, और जगन्नाथ मंदिर के गेट के पास भी पानी आ चुका है।

शीतला घाट का मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया है, और सिंधिया घाट पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर का केवल शिखर का हिस्सा दिखाई दे रहा है। नमो घाट के स्कल्पचर भी पानी में डूब गए हैं। कई इलाकों में लोग अपने घरों में फंसे हैं, और सड़कों-गलियों में पानी भरने से आवागमन ठप हो गया है। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है।
राहत और बचाव कार्य
प्रशासन ने नक्खीघाट के चित्रकूट कॉन्वेंट इंटर कॉलेज और दनियालपुर के नवोदय पब्लिक स्कूल में राहत शिविर स्थापित किए हैं। शनिवार तक इन शिविरों में 147 लोग शरण ले चुके थे। हालांकि, नक्खीघाट निवासी अनु देवी, जमाल अंसारी, सिमरन, और हबीबा बीवी ने बताया कि दनियालपुर में प्राथमिक विद्यालय होने के बावजूद वहां शिविर नहीं बनाया गया। राहत केंद्र उनके घरों से दूर हैं, जिसके कारण कई लोग निजी तौर पर ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
स्थिति की गंभीरता
गंगा के बढ़ते जलस्तर ने वाराणसी के निचले इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया है। अस्सी घाट पर सड़क तक पानी पहुंचने से स्थानीय दुकानें और घर प्रभावित हुए हैं। प्रशासन ने NDRF और SDRF की टीमें तैनात की हैं, जो नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं। हालांकि, राहत शिविरों की दूरी और सीमित सुविधाओं ने पीड़ितों की परेशानी बढ़ा दी है।