Ganesh Chaturthi: मोदक से क्यों खुश होते हैं गणेश भगवान? जाने यह 3 वजह…
बप्पा के आगमन(Ganesh Chaturthi) में अब बस कुछ ही बचे हैं। सभी के घर में उनके स्वागत की तैयारी शुरू हो गई हैं। इस पर्व को देशभर में बड़ी धूम-धाम और खुशी के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी(Ganesh Chaturthi) के दौरान लोग बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता गणेश जी की मूर्ति को अपने घर में स्थापित करके उन्हें उनके मनपसंद भोग लगाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणपति को मोदक बेहद प्रिय हैं। ऐसे में लोग गणपति को मोदक का भोग जरूर लगाते हैं। पर क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं आखिर क्यों भगवान गणेश को प्रिय है मोदक।
पुराणों में मोदक का अर्थ खुशी बताया गया है। कहा जाता है कि भगवान श्रीगणेश हमेशा खुश रहा करते थे। उनके भक्त उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में जानते हैं। गणपति अपने भक्तों के दुख और विघ्न दूर करके उन्हें खुशियां प्रदान करते हैं। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है।
मोदक और गणपति को लेकर एक धार्मिक कथा काफी प्रचलित है। कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव शयन कर रहे थे और द्वार पर गणेश जी पहरा दे रहे थे। परशुराम वहां पहुंचे तो गणेश जी ने परशुराम को रोक दिया। इस पर परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे। जब परशुराम पराजित होने लगे तो उन्होंने शिव जी द्वारा दिए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया। इससे गणेश जी का एक दांत टूट गया। दांत टूट जाने की वजह से उन्हें खाने में काफी परेशानी होती थी। उनकी परेशानी दूर करने के लिए मोदक बनाए गए। मोदक मुलायम और मुंह में आसानी से घुल जाते हैं इसलिए यह भगवान गणेश का प्रिय भोजन बन गए।
साथ ही कहा जाता है कि एक बार गणपति भगवान शिव और माता पार्वती के साथ अनुसुइया के घर गए। उस समय गणपति, भगवान शिव और माता पार्वती तीनों को काफी भूख लगी थी। माता अनुसुइया ने सोचा कि पहले गणेश जी को भोजन करा देती हूं, इसके बाद महादेव और माता पार्वती को खिला दूंगी। माता अनुसुइया ने गणपति को भोजन कराना शुरू किया तो वो लगातार काफी देर तक खाते ही रहे। लेकिन उनकी भूख शांत होने का नाम नहीं ले रही थी। तब माता अनुसुइया ने सोचा कि कुछ मीठा खिलाने से शायद उनकी भूख शांत हो जाए। ऐसे में माता अनुसुइया गणपति के लिए मिठाई का एक टुकड़ा लेकर आईं। उसे खाते ही गणेश जी का पेट भर गया और उन्होंने जोर से डकार ली। उसी समय भोलेनाथ ने भी जोर जोर से 21 बार डकार ली और कहा उनका पेट भर गया है।
बाद में देवी पार्वती ने अनुसृइया से उस मिठाई का नाम पूछा। तो माता अनुसुइया ने बताया कि इसे मोदक कहा जाता है। तब से मोदक को गणपति का प्रिय व्यंजन माना जाने लगा और भगवान गणेश को मोदक चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। मान्यता है कि गणेश जी को यदि 21 मोदक चढ़ाए जाएं तो उनके साथ सभी देवताओं का पेट भर जाता है। इससे गणपति और अन्य सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।