नीलाम होगा ईसा मसीह पर लिखा बापू का पत्र, कीमत लाखों में

नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने आजादी की लड़ाई लड़ने के अलावा भी देश के लिए कई अनोखे कार्य किये. अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उन्होंने न सिर्फ जमीनी लड़ाई को अंजाम दिया बल्कि अपनी लेखनी से भी जनता में प्राण फूंकते रहे. देश की आजादी के लिए लम्बी लड़ाई लड़ने वाले महात्मा गाँधी ने कई ऐसे पत्र भी लिखे थे जिनको संग्रहालय में सुरक्षित रक्खा गया है.गाँधी

महात्मा गांधी ने अपने जिस पत्र में ईसा मसीह की मौजूदगी की प्रकृति पर चर्चा की थी उसे नीलामी के लिए रखा गया है. पत्र पर छह अप्रैल, 1926 की तिथि अंकित है और गांधी ने इसे भारत में अपने साबरमती आश्रम से लिखा था.

हल्की स्याही में टाइप किया गया और गहरे रंग की स्याही से हस्ताक्षर किया यह पत्र बीते कई दशक से संग्रहित एक निजी संग्रह का हिस्सा था और अब पेनसिलवेनिया स्थित राब कलेक्शन इसकी नीलामी करने जा रहा है. नीलामी का उद्देश्य ऐसे लोगों की खोज करना है जिनकी इतिहास में गहरी दिलचस्पी हो और अपने नायकों द्वारा किये गये प्रयासों के मूल्यों को समझते हों.

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विदित हो कि गाँधी जी का पूरा जीवन दूसरों की भलाई पर आधारित रहा और उनके जाने के बाद भी उनकी सोच को जिन्दा रखने के लिए और उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को जनहित में संप्रेषित करने के लिए उनकी चीजों का सहारा लिया जाता रहा है. उसी कड़ी में इशामसीह को लिखा गया गाँधी जी का पत्र एक कड़ी स्वरूप है.

अमेरिका के मिल्टन न्यूबेरी फ्रैंट्ज में ईसाई धर्मगुरू को लिखे पत्र में गांधी ने लिखा, ‘‘ईशु मानवता के सबसे महान गुरुओं में से एक थे.’’ राब कलेक्शन के प्रधान नाथन राब ने इस पत्र को शांति की दिशा में धर्मों की दुनिया के लिये गांधी का दृष्टिकोण बताया. उन्होंने कहा, ‘‘ईशू में उनका विश्वास मानवता के एक गुरु के तौर पर था, जो उनके समकक्ष व्यक्तियों के साथ समानता तलाशने का उनका एक प्रयास दर्शाता है.’’

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