शुक्रवार के दिन करें त्रिदेवियों की पूजा, हर मुराद होगी पूरी

हिंदू धर्म में हर दिन की अलग मान्यता और प्रधानता है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की उपासना के लिए खास माना गया है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के साथ मां दुर्गा और मां संतोषी की पूजा के लिए भी विशेष माना जाता है। आइए जानते है इन देवियों की पूजा-अर्चना करने की विधि के बारे में।

शुक्रवार का दिन

मां दुर्गा की पूजा

शुक्रवार का दिन मां दुर्गा का दिन है। दुर्गा जी की पूजा के लिए सबसे पहले माता दुर्गा की मूर्ति को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से स्नान कराएं फिर पंचामृत से फिर पुन: जल से स्नान कराएं। इसके बाद मां को वस्त्र अर्पित करें। मां दुर्गा को फूल, आभूषण से सुसज्जित करें। मां को हमेशा लाल गुड़हल के फूल अर्पित करें।  अब मां के माथे पर तिलक लगाएं। तिलक के लिए कुमकुम, अष्टगंध का प्रयोग करें। ध्या न रहे कि मां दुर्गा के पूजन में दूर्वा अर्पित नहीं की जाती है। मां दुर्गा की पूजा के दौरान ऊं श्री दुर्गाय नमः’ जाप का पाठ करें। मां के पूजन में भोग में नारियल को रखें। पूजा समाप्त हो जाने के बाद नारियल को फोड़े और सब में बांट दें। प्रसाद सब में देने के बाद खुद भी खा लें।

मां लक्ष्मी की पूजा

मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए 16 शुक्रवार को पूजा और व्रत रखने की मान्यता है। शुक्रवार को सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां लक्ष्मी की पूजा हमेशा आधी रात में और सफेद या गुलाबी रंग के कपड़े पहन कर करनी चाहिए क्योंकि मां लक्ष्मी गुलाबी कमल के पुष्प पर ही विराजती है। मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग या कमल के फूल ही चढ़ाने चाहिए ऐसा करने से मां जल्दी प्रसन्न हो जाती है। शुक्रवार के दिन लक्ष्मी मां के जाप करने से धन की प्राप्ति होती है और मां की कृपा सदैव घर पर बनी रहती है। पूजा करने के बाद मिठाई का दान करें।

संतोषी मां की पूजा

मां संतोषी को खुश करने के लिए 16 शुक्रवार के लगातार व्रत रखें जाते हैं। मां संतोषी की पूजा के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर नहा धो कर माता संतोषी की प्रतिमा स्थापित करें। उनके सम्मुगख जल से भरा कलश रखें और उस के ऊपर एक कटोरा गुड़ चना भर कर रखें। माता  संतोषी की रखने के लिए उनको फूल, इत्र, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें। मां संतोषी को गुड़ और चना सबसे ज्यादा भाता है। इसलिए उनकी पूजा में प्रसाद के लिए गुड़ और चना को जरूर शामिल करें। पूजा पूरी होने पर प्रसाद का चना गाय को अवश्य खिलाएं। इस व्रत को करने वाले को ना तो खट्टी चीजें हाथ लगाना है और ना ही खाना है।

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