मधुमिता शुक्ल हत्याकांड के आरोपी पूर्व राज्य मंत्री अमरमणि त्रिपाठी होंगे जेल से रिहा

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की जल्द रिहाई के लिए उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन विभाग ने गुरुवार (24 अगस्त) को आदेश जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अनिउद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवि की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। अधिकारी ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जेल विभाग ने उनकी उम्र और अच्छे व्यवहार का भी हवाला दिया क्योंकि अमरमणि 66 साल के हैं और मधुमणि 61 साल की हैं। अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी फिलहाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं।

कवयित्री मधुमिता, जो गर्भवती थीं, की 9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में उस कवि की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिसके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे। देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने दंपति की सजा को बरकरार रखा। मामले की जांच सीबीआई ने की थी।

मधुमिता हत्याकांड

पूर्व राज्य मंत्री और उनकी पत्नी मधुमणि को 2003 में डाकिन मधुमिता शुक्ला की हत्या की साजिश रचने और हत्या का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2007 में देहरादून अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जांच से पता चला कि त्रिपाठी और शुक्ला दोनों के बीच अवैध संबंध थे और इस दौरान कवयित्री ने उनके साथ एक बच्चे को जन्म दिया। पूर्व मंत्री ने उस पर बच्चा गिराने का दबाव डाला।

9 मई, 2003 को सात महीने की गर्भवती 24 वर्षीय मधुमिता की लखनऊ में उसके अपार्टमेंट में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में हुई इस रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश और शेष भारत को झकझोर कर रख दिया था।

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