निर्मला सीतारमण पारंपरिक ‘बही खाते’ के बजाय टैब के जरिए फिर से पेश करेंगी बजट 2025
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में केंद्रीय बजट 2025 पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वह पारंपरिक ‘बही खाते’ के बजाय टैब के ज़रिए बजट पेश करेंगी और पढ़ेंगी।
यह सीतारमण का लगातार आठवां बजट होगा। इससे सीतारमण पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा अलग-अलग समयावधि में पेश किए गए 10 बजटों के रिकॉर्ड के करीब पहुंच जाएंगी।
देसाई ने 1959-1964 के बीच वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कुल 6 बजट तथा 1967-1969 के बीच 4 बजट प्रस्तुत किये। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी ने अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के अधीन क्रमशः नौ और आठ बजट पेश किए।
हालांकि, सीतारमण के पास एक बार में सबसे अधिक बजट पेश करने का रिकॉर्ड बना रहेगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत लगातार आठ बजट पेश करने का रिकॉर्ड।
2019 में उन्हें भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री नियुक्त किया गया जब प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णायक दूसरा कार्यकाल जीता।वर्ष 2017 में बजट प्रस्तुत करने की तिथि को बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया, ताकि सरकार मार्च के अंत तक संसदीय अनुमोदन प्रक्रिया पूरी कर सके तथा 1 अप्रैल को वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही बजट का क्रियान्वयन कर सके।
29 फरवरी को बजट पेश करने का मतलब था कि संसदीय अनुमोदन प्रक्रिया के 2-3 महीनों के बाद मई/जून से पहले कार्यान्वयन शुरू नहीं हो सकता था।
बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
सबसे छोटा भाषण – 1977 में हीरूभाई मुलजीभाई पटेल का अंतरिम बजट भाषण सिर्फ 800 शब्दों का था जो अब तक का सबसे छोटा भाषण है।
बजट परंपरागत रूप से फरवरी के आखिरी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था।समय औपनिवेशिक युग की परंपरा के अनुसार तय किया गया है, जब लंदन और भारत में एक ही समय पर घोषणाएं की जा सकती थीं।
भारत ब्रिटिश ग्रीष्मकालीन समय से 4 घंटे 30 मिनट आगे है, और इसलिए भारत में शाम 5 बजे बजट पेश करने से यह सुनिश्चित हो गया कि यह यूनाइटेड किंगडम में दिन के समय पेश किया जाएगा।
1999 में समय बदल दिया गया जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे बजट पेश किया।तब से बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।वर्ष 2017 में बजट प्रस्तुत करने की तिथि को बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया, ताकि सरकार मार्च के अंत तक संसदीय अनुमोदन प्रक्रिया पूरी कर सके तथा 1 अप्रैल को वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही बजट का क्रियान्वयन कर सके।
29 फरवरी को बजट पेश करने का मतलब था कि संसदीय अनुमोदन प्रक्रिया के 2-3 महीनों के बाद मई/जून से पहले कार्यान्वयन शुरू नहीं हो सकता था।