हमेशा नहीं बढ़ता ग्लाउकोमा में आंख का प्रेशर
नई दिल्ली। ग्लाउकोमा उन कई रोगों का समूह है, जिनका दुष्प्रभाव ऑप्टिक नर्व पर पड़ने से दृष्टिदोष और अन्धापन-जैसे लक्षण पैदा होते हैं। ग्लाउकोमा और आंखों के एंटीरियर चैम्बर के प्रेशर के बीच सम्बन्ध को और विस्तार से समझने की जरूरत है।
यह सच है कि ग्लाउकोमा के तमाम कारणों और प्रकारों में से अधिकतर में एंटीरियर चैम्बर में प्रेशर बढ़ने से ग्लाउकोमा के बदलाव ऑप्टिक नर्व में पैदा होते हैं।
लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हमेशा बढ़े प्रेशर के साथ ग्लाउकोमा के बदलाव ऑप्टिक तन्त्रिका में उत्पन्न हों। इसका अर्थ यह भी है कि सामान्य एंटीरियर चैम्बर के प्रेशर के साथ भी ग्लाउकोमा के परिवर्तन पैदा हो सकते हैं।
सामान्य प्रेशर होने के बाद भी आंखों की ऑप्टिक नर्वों में पैदा हुए बदलाव से यह हो सकता है। ग्लाउकोमा किसे होगा और किसे नहीं : यह कई बातों पर निर्भर करता है। बढ़ती उम्र, लिंग और नस्ल इसमें भूमिका निभाते हैं, तो आनुवंशिकी भी वजह बनती है।
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बदलू की बीवी को ग्लाउकोमा है। डॉक्टर उसे ओपेन एंगल ग्लाउकोमा कहते हैं। ओपेन एंगल ग्लाउकोमा का सबसे प्रमुख और प्रचलित प्रकार है। 90 % के लगभग ग्लाउकोमा इसी श्रेणी में आते हैं। लेकिन ओपेन एंगल ग्लाउकोमा को बिना एंगल समझे कैसे समझेगा बदलू / एंगल यानी कोण। पर कोण कहां का / किन दो रेखाओं के बीच का/ इसलिए बदलू को कॉर्निया और उसके पीछे मौजूद तरल एक्वस ह्यूमर में मौजूद काले पर्दे आइरिस को समझना होगा।
आंख के सामने की नन्हीं पारदर्शी सतह कॉर्निया और भीतर पीछे के काले परदे आइरिस के बीच के ही कोण की बात डॉक्टर कर रहे हैं। यह कोण वह स्थान है जहां एक ट्रैबिक्युलर जाली से रिसकर एक्वस ह्यूमर एक पतली नाली जिसे कैनाल ऑफ श्लेम कहा जाता है, में सोख लिया जाता है। एक्वस ह्यूमर के बनने और सोखे जाने का क्रम जीवन-भर चलता रहता है। शरीर एंटीरियर चैम्बर में एक्वस ह्यूमर की जरूरी मात्रा को नियन्त्रित रखता है।
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लेकिन अगर किसी कारण से एक्वस ह्यूमर बनता रहा और उसका अवशोषण न हो पाया ट्रैबिक्युलर जाली से तब / या फिर अगर वह अधिक बनने लगा / ऐसी स्थितियां ग्लाउकोमा को जन्म दे सकती हैं। ग्लाउकोमा के इन्हीं प्रकारों में से सबसे अधिक प्रचलित प्रकार बदलू की पत्नी को हुआ है।