इंफाल: मणिपुर में नई सरकार के गठन की कवायद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, मंगलवार को 10 विधायकों ने इंफाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस समूह में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 8 विधायक, नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) का 1 विधायक और 1 निर्दलीय विधायक शामिल थे।

निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह ने कहा, “लोगों की मांग है कि मणिपुर में जल्द से जल्द लोकप्रिय सरकार बने। यही कारण है कि हमने राज्यपाल से मुलाकात की। हमने एक पत्र सौंपा है, जिस पर 22 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। हमारी अपील है कि लोकप्रिय सरकार का गठन हो। NDA के सभी विधायक इसके लिए उत्साहित हैं और जनता का समर्थन भी चाहते हैं।”
मणिपुर में 13 फरवरी, 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कुछ बीजेपी विधायकों की बगावत के बाद इस्तीफा दे दिया था। मणिपुर विधानसभा में 60 सीटें हैं, और सरकार बनाने के लिए 31 विधायकों का समर्थन जरूरी है। बीजेपी के पास पहले 32 सीटें थीं, लेकिन पार्टी में आंतरिक असंतोष और मेइती-कुकी जातीय हिंसा ने राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर दी। 2023 से चली आ रही इस हिंसा में 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 60,000 से अधिक विस्थापित हुए हैं।
पिछले प्रयास और मांग
इससे पहले, 30 अप्रैल को 21 विधायकों, जिनमें 14 बीजेपी, 3 NPP, 2 नगा पीपल्स फ्रंट (NPF) और 2 निर्दलीय शामिल थे, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर लोकप्रिय सरकार की मांग की थी। इस समूह में 10 कुकी-जो विधायकों का समर्थन होने का दावा किया गया था। अब ताजा घटनाक्रम में 22 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से विधायक इस समूह का हिस्सा हैं।
चुनौतियां और अगले कदम
राष्ट्रपति शासन के कारण विधानसभा निलंबित है, और बीजेपी ने अभी तक नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच तनाव को देखते हुए नया नेता चुनना चुनौतीपूर्ण है। बीजेपी नेतृत्व कुकी-जो विधायकों से दिल्ली में मुलाकात की योजना बना रहा है। अगर केंद्र से सकारात्मक जवाब नहीं मिला, तो विधायक 15 मई के बाद सरकार गठन का दावा और मजबूत कर सकते हैं।
विवाद और तनाव
हाल ही में मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट बस से ‘मणिपुर’ शब्द हटाने की घटना को लेकर मेइती समुदाय की ओर से भारी विरोध हुआ। COCOMI ने इस मुद्दे पर राज्यपाल भल्ला से माफी की मांग की और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए, जिसके कारण राज्यपाल को हेलीकॉप्टर से राजभवन ले जाना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी सिंह ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया।