बच्चों की फीस ‘लिमिट’ होने से ‘रखवाले’ नाराज़, रक्षामंत्री करेंगी मीटिंग
नई दिल्ली। सेना की सरकार से नाराजगी बढ़ती जा रही है। ऐसे में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण इस मुद्दे पर बैठक करेंगी। मामला शहीदों के बच्चों की फीस ‘लिमिट’ करने पर बढ़ा।
देश की हिफाज़त करते हुए शहीद, विकलांग और लापता हुए सैनिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए ट्यूशन और हॉस्टल फीस के भुगतान की सीमा को 10 हजार रुपये तय करने के फैसले पर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को इस मुद्दे पर बैठक करेंगी।
रक्षामंत्री ने कहा कि, यह फैसला 7वें वेतन आयोग की सिफारिश पर कैबिनेट ने लिया है। हालांकि, वह इसे एक बार और देखेंगी। उन्होंने कहा, ‘यह एक भावुक मुद्दा है। मैं शहीदों और उनके परिवारों का सम्मान करती हूं और मुझे पता है कि इससे उन्हें बुरा लगा होगा।’
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बता दें कि सैन्य बलों और शहीदों के 3200 परिवार अब भी रक्षामंत्री के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। वहीं सेना के सूत्रों के अनुसार, अगर रक्षा मंत्रालय 10 हजार की सीमा को हटाने से इनकार करता है या इसमें देरी करता है तो सेना अपने अफसरों और सैनिकों के आश्रितों की जिम्मेदारी खुद पर ले लगी।
एक वरिष्ठ आर्मी अफसर ने कहा, हम बहुत स्पष्ट हैं। हम शहीदों के बच्चों को संघर्ष करने नहीं देंगे। वह हमारी जिम्मेदारी हैं। उन्होंने कहा कि सैन्य बलों ने इस बाबत कई बार रक्षा मंत्री को चिट्ठी भी लिखी है कि वे इस निर्णय को बदल दें।
24 नवंबर को नेवी चीफ सुनील लाम्बा ने रक्षा मंत्री को चिट्ठी लिखी थी और आग्रह किया था कि वह इस मामले को व्यक्तिगत तौर पर संज्ञान में लें।
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उन्होंने लिखा था, ये जवान देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं। इनके आश्रितों के शैक्षिक रियायत का प्रावधान उनकी प्रतिबद्धता के लिए सम्मान देना का एक छोटा प्रयास है। सर्विस हेडक्वार्टर ने इस मुद्दे को रक्षा मंत्रालय के सामने 10 अक्टूबर 2017 को ही उठाया था।
लान्बा ने एअरफोर्स, नेवी और आर्मी के हवाले से भी निर्मला सीतारमण से इस मामले को संज्ञान लेने के लिए अनुरोध किया है।
बता दें कि शहीदों और कार्रवाई के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए संस्थानों की ट्यूशन फीस पूरी तरह माफ करने का प्रावधान साल 1972 में सरकार लाई थी।
इसके बाद जुलाई 2017 में एक आदेश जारी करके 10 हजार रुपये इसकी अधिकतम सीमा तय कर दी गई थी। इसे लेकर मौजूदा और पूर्व सैनिकों में काफी गुस्सा है।