Dussehra 2022: दशहरा पर्व आज, इस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा विधि और महत्‍व

Dussehra 2022: आज पूरे देश में दशहरा का मनाया जा रहा है, अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार के रूप में मनाए जाने वाला त्योहार है। इसी तिथि पर भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध किया था। दशहरे के त्योहार को कई जगहों पर विजयादशमी के नाम से जाना है।

Dussehra 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरे का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। दशहरा पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार के रूप में मनाए जाने वाला त्योहार है। इसी तिथि पर भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध किया था। दशहरे के त्योहार को कई जगहों पर विजयादशमी के नाम से जाना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा का पर्व एक अबूझ मुहूर्त है यानी इसमें बिना मुहूर्त देखे सभी तरह के शुभ कार्य और खरीदारी की जा सकती है। दशहरे पर्व पर शस्त्र पूजा भी की जाती है। 

विजयदशमी शुभ मुहूर्त 
विजय मुहूर्त :14:07 से 14:54 तक
अवधि :  47 मिनट
अपराह्न मुहूर्त :13:20 से 15:41 तक

विजयादशमी पूजा और महत्व 
– दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। अपराजिता पूजा अपराह्न काल में की जाती है। विजयादशमी पर अपराजिता का विशेष स्थान होता है।
– विजयादशमी पर घर के पूर्वी हिस्से की साफ-सफाई करके वहां पर चंदन का लेप लगाकर अष्टदल चक्र बनाएं।
– इसके बाद देवी अपराजिता की पूजा करने का संकल्प लें।
– फिर अपराजिताय नमः, जयायै नमःऔर विजयायै नमः मन्त्रों के साथ शोडषोपचार पूजा करें।
– विजयादशमी पर शमी के पेड़ की पूजा का विधान होता है और विजय मुहूर्त में पूजा या शुभ कार्य करने विधान होता है। मान्यता है भगवान राम ने रावण का संहार करने के लिए इसी मुहूर्त में युद्ध का प्रारंभ किया था।
– विजयादशमी पर आयुध(शस्त्र) की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन क्षत्रिय, योद्धा और सैनिक अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। वहीं ब्राह्राण इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं।
– इस दिन रामलीला मंचन का समापन होता है। रावण, कुंभकर्ण और मेधनाथ का पुतला जलाकर असत्य पर सत्य की जीत का पर्व मनाया जाता है।

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