सरकार की कमी के कारण बारिश बनी मुर्दो के लिए आफत

रिपोर्ट- दिलीप

कन्नौज। बारिश के कारण कन्नौज में मुर्दे भी आफत में हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कन्नौज में गंगा किनारे बने शवदाह घाट बिना टीनशेड के है और यहां आने वाले शवों को इन दिनों आधा अधूरा दाह संस्कार कर गंगा में विसर्जित कर दिया जा रहा है। शवों के दाह संस्कार में होने वाले कर्मकांड कराने वाले भी बारिश के कारण जल्दबाजी में अधूरे मन्त्र पढ़कर खानापूर्ति कर रहे हैं। घाट पर रहने वाले महंथो की माने तो अधूरे कर्मकाण्ड से आत्मा भटकती है और आधे जले शव गंगा को भी प्रदूषित करते हैं।

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कन्नौज में गंगा किनारे स्थित महादेवी घाट पर रोजाना 15 से 20 शव दाह संस्कार के लिए आते हैं। कन्नौज सहित औरैया, इटावा, उरई, हरदोई, लखीमपुर, शाहजहाँपुर तक के लोग शवों के अंतिम संस्कार के लिये यहां आते है। लेकिन बरसात मे कोई पक्का और शेड वाली जगह न होने के कारण खुले में ही मुर्दो का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कई बार तो ऐसा होता है कि बारिश के चलते लोग आधा जला शव ही गंगा में विसर्जित कर देते हैं। घाट किनारे बने शिवालय के महंत का कहना है की अधाकर्मकांड होने से आत्मा भटकती है तो अधूरा शव गंगा के प्रदूषण को बढ़ाता है।

कन्नौज के इस इकलौते महादेवी घाट पर अंतिम संस्कार के लिए दो टीनशेड वाले स्थल बने हैं। जिनमे एक साथ दो शवों को ही जलाया जा सकता है। महंतों का कहना है कि अगर सरकार यहां कुछ और शेड दार अंतिम संस्कार स्थल बनवा दे तो यहां आने वाले शवों का सम्पूर्ण दाह भी हो जाए और गंगा जी भी प्रदूषित होने से बच जाएंगी।

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कन्नौज में आने वाले शवों के बारिश में भी सम्पूर्ण अंतिम संस्कार के लिए पूर्व सपा सरकार ने योजना पास की थी, लेकिन भाजपा सरकार में वह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गयी। देखना होगा की कब सरकार कन्नौज के महादेवी घाट पर बारिश में आने वाली मुर्दो की इस आफत पर गौर करती है, और उनके अंतिम संस्कार के लिए शेडदार स्थल बनवाती है।

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