Diwali 2020: क्या आप को पता है कि दीवाली क्यों मनायी जाती हैं? जानिए ये 10 रोचक बातें

दीवाली हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस पावन त्यौहार को प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्यौहार अपने साथ तमाम सारी खुशियां, समृद्धि, शांति व सकारात्मक ऊर्जा लाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस दिन प्रभु श्री राम रावण का वध करके सीता माता व अपने अनुज भ्राता (लक्ष्मण) के साथ अयोध्या आए थे उस दिन की खुशी में लोग इस पर्व को मनाते आ रहे हैं। बताया जाता है कि जिस दिन प्रभु श्री राम अयोध्या लौटे थे उस दिन वहां कि पूरी प्रजा ने उनका स्वागत घी के दीप जलाकर किया था जिससे आज भी लोग दीवाली पर घी के दीप जलाते हैं। दीवाली से जुड़ी कई और मान्यताएं भी हैं जिसे आप में से बहुत ही कम लोग जानते होंगे। इसी लिए आज हम आपको दीवाली से जुड़ी कुछ नई बातें बताने जा रहे हैं।

  1. प्रभु श्री राम की विजय
    यह बात तो आप सभी को पता ही होगी कि इस दिन प्रभु श्री राम लंकाधिपति रावण का वध कर वापस अयोध्या लौटे थे। यदि हम बात करें रामायण की तो श्री राम का अयोध्या आगमन चंद्रमा के कार्तिक मास की अमावस्या के दिन हुआ था। श्री राम के आगमन पर अयोध्या वासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था जिसके कारण आज भी लोग दीवाली के दिन दीप जलाते हैं।
  2. माँ लक्ष्मी जी का प्राकट्य
    इसी दिन देवासुरों द्वारा किये जा रहे समुद्र मंथन में माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। माता लक्ष्मी ने अपने भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करने के लिए कार्तिक मॉस की अमावस्या को यानी दिवाली के दिन अवतार लिया था। इस कारण से दीवाली को माँ लक्ष्मी को पूजा जाता है।
  3. नरकासुर वध
    पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने रक्षसों के राजा नरकासुर का वध किया था। कहा जाता है कि नरकासुर ने 16000 स्त्रियों को अपने कब्जे में रखा था जिनको भगवान श्री कृष्ण ने मुक्ति करा दिया था। जिससे इस दिन को विजय पर्व के नाम से भी जाना जाता है। नरकासुर के वध के बाद लोगों ने दीवाली को दो दिनों तक मनाना शुरु कर दिया जिसे कुछ लोग नरकचौदस भी कहते हैं।
  4. भगवान विष्णु द्वारा माँ लक्ष्मी को मुक्ति दिलाना
    माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु ने राजा बलि से मुक्ति दिलाई थी। जिसके लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और महादानी (राजा बलि) को कुछ ही क्षण में रंक बना दिया था।
  5. सिक्खों के लिए खास दिन
    सिक्खों के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन होता है। बताया जाता है कि इसी दिन तीसरे सिक्ख गुरु अमरदास जी ने अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया था। यहा भी कहा जाता है कि इस दिन 1577 में अमृतसर के हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास किया गया था। इस दिन सिक्ख भाई बंदी छोड़ दिवस भी मनाते हैं क्योंकि 1619 में इसी दिन मुगल शासक जहांगीर ने सिक्ख गुरु हरगोबिन्द जी को मुक्त किया था जिससे यह दिन सिक्खों के लिए भी खास होता है।
  6. महावीर तीर्थंकंर को मोक्ष की प्राप्ति
    यह दिन जैम धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी दिन यानी कार्तिक मास की अमावस्या को महावीर तीर्थंकंर जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था।
  7. पांडवों की वनवास से वापसी
    महाभारत के अनुसार इसी दिन पांडव अपना वनवास काट वापस आये थे। कहा जाता है कि पाडव चौसर में कौरवों द्वारा हार गए थे जिसके लिए उन्हें 12 साल का वनवास भोगना पड़ा था। पाडवों के वनवास से लौटने पर इस दिन दीप जला दीवाली मनायी गई थी।
  8. विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
    बताया जाता है कि इस ही दिन को भारत के राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक हुआ था। जिसके कारण इस दिन लोगो दीवाली मनाते हैं।
  9. आर्य समाज की स्थापना
    इसी दिन यानी कार्तिक अमावस्या को महात्मा स्वामी दयानंद सरस्वती जी के द्वारा आर्य समाज की स्थापना की थी। कहा जाता है कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हिंदुत्व का अस्तित्व बनाये रखने के लिए इसकी स्थापना की थी जिसके उल्लास में लोग दीवाली मनाते आ रहे हैं।
  10. द पोप का वक्तव्य
    इसी दिन ईसाईयों के धर्म गुरु द पोप ने 1999 में भारत के लोगों को दीवाली से जुड़ी बातें बतायी थी। साथ ही
    भारत की चर्चों को दीवाली पर दीपों से सजाने को कहा था और हिन्दु-ईसाई एकता जताते हुए अपने माथे पर तिलक लगाया था। इस एतिहासिक दिन को याद करते हुए लोग दिवाली मनाते हैं।
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