Diwali 2018: दिवाली पर इस तरह करें पूजन बरसेगी लक्ष्मी मां की कृपा, जानिए शुभ मुहूर्त

दिवाली पर इस तरह करें पूजन बरसेगी लक्ष्मी मां की कृपा, जानिए शुभ मुहूर्त

इस बार दिवाली पर 59 साल बाद गुरु और शनि का दुर्लभ योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार दीपावली पर समृद्धि और सार्म्थबय प्रदान करने वाला आयुष्मान-सौभाग्य और स्वाति नक्षत्र का मंगलकारी त्रिवेणी संयोग बनने जा रहा है। इस संयोग में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना से धन वर्षा होगी। इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा। तो आईए जानते है क्या है इस बार लक्ष्मी पूजन का शुभ  मुहूर्त।

दिवाली

मुहर्त और क्या है पूजा की सही विधि

दीपावली पर बन रहा त्रिवेणी संयोग बेहद खास है। इस आयुष्मान योग में किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करते हैं और इनसे जीवनभर सुख और समृद्धि प्राप्त होती रहती है। इस योग से हमेशा मंगल आता रहता है। अपने नाम के अनुरूप यह भाग्य को उदय करने वाला माना जाता है। ये स्वाति 15वां नक्षत्र है। इसका स्वामी राहु यानी अंधकार है। कहा जाता है कि जिस प्रकार स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद सीप पर गिरती है तो मोती बनती है, ठीक उसी प्रकार इस नक्षत्र में जातक की ओर से किया कार्य उसे सफलता की चमक प्रदान करता है।

दिवाली पर पूजा का सही मुहर्त :

लाभ – सुबह 6:36 से 7:59 और दोपहर 4:16 से शाम 5:39 बजे तक।
अमृत – सुबह 7:59 से 9:22 और रात 8:54 से 10:31 बजे तक।
शुभ – सुबह 10:44 से दोपहर 12:07 और शाम 7:16 से रात 8:54 बजे तक।
चर – दोपहर 2:53 से 4:16 और रात 10:31 से 12:08 बजे तक।
स्थिर लग्न

वृष सायंकाल 6:15 से रात्रि 8:05 तक सिंह रात्रि 12:45 से 02:50 तक वृश्चिक प्रातः 8:10 से 9:45 तक कुम्भ दोपहर 01:30 से 03:05 तक

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दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि

सर्वप्रथम मां लक्ष्मी और गणेशजी की प्रतिमाओं को चौकी पर रखें. ध्यान रहें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर रहें और लक्ष्मीजी की प्रतिमा गणेशजी के दाहिनी ओर रहें. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर उसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक होता है. घी का दीपक गणेश जी और तेल का दीपक लक्ष्मी जी के सम्मुख रखें.

लक्ष्मी-गणेश के प्रतिमाओं से सुसज्जित चौकी के समक्ष एक और चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. उस लाल वस्त्र पर चावल से नवग्रह बनाएं. घर में पूजन करते समय नवग्रह ना रखें. रोली से स्वास्तिक एवं ॐ का चिह्न भी बनाएं. पूजा करने हेतु उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे. इसके बाद केवल प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी की पूजा करें. माता की स्तुति और पूजा के बाद दीप दान भी अवश्य करें.

लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते रहें– ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में ही करना चाहिए और यह समय संध्याकाळ के बाद आरंभ होगा. हालांकि इसमें भी स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है. स्थिर लग्न में पूजन कार्य करने से मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं. द्रव्य लक्ष्मी जी का पूजन धनतेरस वाले दिन ही कुबेर जी के साथ करना चाहिए. द्रव्य लक्ष्मी पूजन धनतेरस पर राहुकाल में या सूर्यास्त के बाद ही करना चाहिए.

दीपावली पूजन मुहूर्त

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इस दिन पूरा दिन ही शुभ माना जाता है. इस दिन किसी भी समय पूजन कर सकते हैं लेकिन प्रदोष काल से लेकर निशाकाल तक समय शुभ होता है. जो इस दिन बही बसना पूजन करने हैं उनको ही राहु काल का विचार करना चाहिए, जो लोग सिर्फ गणेश लक्ष्मी जी का पूजन करें उनको विचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अमावस्या तिथि पर राहु काल का दोष नहीं होता.

अमावस्या तिथि प्रारंभ- 6 नवम्बर 2018 रात 10:03 बजे, अमावस्या तिथि समाप्त- 7 नवम्बर 2018 रात 9:32 बजे,

दीपक जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। दीपावली के दिन पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करने का विधान है।

उपरोक्त पूजन के पश्चात घर की महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण इत्यादि सुहाग की संपूर्ण सामग्रियां लेकर मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान इत्यादि के पश्चात विधि-विधान से पूजन के बाद आभूषण एवं सुहाग की सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें 

पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए श्रीलक्ष्मी से क्षमा-प्रार्थना करें।
(न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।) भगवती श्रीलक्ष्मी को यह सब पूजन समर्पित है।

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