निराश: सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी पर यूपी को लगाई फटकार, जारी किए दिशा-निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने यह सख्त टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की जिसमें उत्तर प्रदेश में एक दम्पति को चोरी किया गया बच्चा सौंप दिया गया था, जो बेटा चाहते थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाल तस्करी के मामलों से निपटने के तरीके को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए राज्यों को पालन करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने सख्त क्रियान्वयन का निर्देश देते हुए निचली अदालतों को बाल तस्करी के मामलों में छह महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा, “देश भर के उच्च न्यायालयों को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों की स्थिति जानने का निर्देश दिया जाता है। इसके बाद 6 महीने में मुकदमे को पूरा करने और दिन-प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।”

सर्वोच्च न्यायालय ने यह सख्त टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की जिसमें तस्करी करके लाए गए एक बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक दम्पति को सौंप दिया गया था, जो बेटा चाहते थे।

आरोपियों की जमानत रद्द करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले से निपटने के तरीके को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों को फटकार लगाई।

पीठ ने कहा, “आरोपी को बेटे की चाहत थी और उसने 4 लाख रुपये में बेटा खरीद लिया। अगर आप बेटे की चाहत रखते हैं…तो आप तस्करी किए गए बच्चे को नहीं खरीद सकते। वह जानता था कि बच्चा चोरी हुआ है।”

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