सरकारी फरमान: बारात ही नहीं अब रोड़ से भी गायब होंगे घोड़े

ग्लैंडर्सनई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने घोड़ों, गधों व खच्चरों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। इससे पहले सरकार ने फरमान जारी किया था कि अब दूल्हे घोड़ी नहीं चढ़ पाएंगे। हालांकि यह आदेश कुछ महीनों के लिए है। इस बार का फरमान भी बीमारी से बचने के लिए है।

दिल्ली सरकार ने ग्लैंडर्स रोग फैलने की वजह से यह फैसला लिया है। अब अगले आदेश तक घोड़ों, गधों व खच्चरों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

बीते दो महीनों में शहर के 40 घोड़ों में ग्लैंडर्स रोग की पहचान की गई है। सरकार दो दिनों के भीतर प्रतिबंध को लेकर अधिसूचना जारी करेगी। गोपाल राय ने केंद्रीय पशुपालन विभाग, पुलिस, सेना व शहर के नगर निगमों के साथ बैठक के बाद यह बात कही।

दिसंबर में सात घोड़ों को ग्लैंडर्स रोग से ग्रस्त पाए जाने के बाद पश्चिम दिल्ली को नियंत्रित इलाके के रूप में अधिसूचित किया गया था। पशुपालन विभाग के अधिकारी ने कहा कि शहर में यह बीमारी पहली बार सामने आई है।

ग्लैंडर्स नाम की बीमारी है क्या?

इस बीमारी की वजह से पूरे शरीर में गांठें होने लगती हैं। नाक और मुंह से लगातार पानी बहता रहता है और धीरे-धीरे ये गांठें जानलेवा बन जाती हैं। सबसे खतरनाक बात ये है कि इस रोगी के सम्पर्क में आने वाला हर जानवर और यहां तक कि इंसान भी इसका शिकार बन जाता है।

वहीं डा. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि यह रोग आपस में सम्पर्क में आने से होता है। आगे कहा कि भारत देश में अभी तक मनुष्य में इस रोग का कोई केस सामने नहीं आए। लेकिन विश्व में इंसान में यह बिमारी अमेरिका में सन 2000 में देखने में मिली थी।

इस बिमारी का उपचार काफी महंगा होता है। इसके लिए 9 माह से 1 साल तक इलाज करवाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बिमारी का इलाज काफी महंगा होता है। ऐसे में घोड़े, गधे और खच्चर को मारने की ही सलाह दी जाती है। उनका कहना है कि मरने के बाद रोग ग्रस्त पशु को 6 फीट गहरे में गढ्ढे में ड़ालकर उसके ऊपर चूना डालना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि मृतक पशु को किसी भी हालत में कुत्ते या अन्य जानवर न खा पाएं। अन्यथा यह रोग काफी तेजी से फैल सकता है।

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