दिल्ली वायु प्रदूषण: संसद परिसर में गैस मास्क पहन विपक्ष का हल्लाबोल, ‘तुरंत एक्शन लें’ का नारा; सोनिया-राहुल समेत नेता सड़क पर

शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को संसद भवन परिसर में विपक्षी दलों ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की घातक समस्या के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। मकर द्वार के सामने इकट्ठा हुए विपक्षी सांसदों ने गैस मास्क पहनकर और ऑक्सीजन सिलेंडर लाकर सरकार पर तीखा प्रहार किया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेता इस प्रदर्शन में शामिल हुए। बैनर पर लिखा था, “मौसम का मजा लीजिए”, जो पीएम मोदी पर तंज कसता था। विपक्ष ने मांग की कि प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया जाए और संसद में तुरंत बहस हो।

प्रदर्शन के दौरान सोनिया गांधी ने कहा, “बच्चे मर रहे हैं, बुजुर्ग जैसे मैं सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहे हैं। सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए।” राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया के एक लेख का हवाला देते हुए कहा, “नीति निर्माण बिकाऊ हो गया है। प्रदूषण पर बहस जरूरी है, न कि टालमटोल।”

प्रियंका गांधी ने जोर देकर कहा, “दिल्ली की हवा सांस लेने लायक नहीं बची। बच्चे और बुजुर्ग घुट रहे हैं। संसद को अब बहस करनी चाहिए, एडजर्नमेंट के बहाने छिपना बंद करें।” तमिलनाडु सांसद पी. विल्सन ने कहा, “प्रदूषण अब सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं, राष्ट्रीय आपातकाल है। दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है।”

विपक्षी सांसदों ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव भी पेश किया। कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर, मनीष तिवारी और विजयकुमार ने दिल्ली-एनसीआर व उत्तर भारत के प्रदूषण पर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी एयर मॉनिटरिंग स्टेशन बहाल हों, प्रदूषकों पर सख्त कार्रवाई हो और विज्ञान-आधारित राष्ट्रीय क्लीन एयर प्लान लाया जाए। इमरान मसूद ने संसद में ऑक्सीजन टैंक लाकर प्रतीकात्मक विरोध किया।

दिल्ली का AQI गुरुवार सुबह 299 पर पहुंचा, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। बुधवार शाम को यह 342 था। अक्षरधाम इलाके में 405 तक पहुंचा, जो ‘गंभीर’ है। विपक्ष ने हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की एक समिति गठित करने की मांग की, जिसमें बजट के साथ विस्तृत योजना बने।

यह प्रदर्शन शीत सत्र के तीसरे दिन शुरू हुआ था, जब विपक्षी सांसद गैस मास्क पहन सदन में पहुंचे। सत्र में SIR, दिल्ली ब्लास्ट और अन्य मुद्दों पर हंगामे के बीच प्रदूषण चर्चा का प्रमुख एजेंडा बन गया। सरकार ने अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह जनता की सेहत से जुड़ा मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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