एक हफ्ते तक चली इस रिसर्च के दौरान वेंटिलेटर पर लेटे कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज का ऑक्सीजन लेवल, फेफड़ों का आकार और एयर-वे प्रेशर जांचा गया, तो सामने आया कि सात मरीज कम से कम एक बार ही सीने के बल लेटे थे। वहीं, तीन ऐसे मरीज थे, जो प्रोन पोजिशन में लेटे थे और उन्हें इक्मो(लाइफ सपोर्ट सिस्टम) भी दिया जा रहा था। वहीं तीन अन्य मरीजों की मौत हो गई। एक हफ्ते तक चली इस रिसर्च में शोधकर्ताओं का कहना है कि इलाज के दौरान मरीज के शरीर की पोजिशन का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। मरीज अगर गलत तरह से लेटे तो शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है।