कांग्रेस का दावा, पाटीदारों से हो गया समझौता, कल फॉर्मूले का एलान करेंगे हार्दिक

गुजरात की सियासतअहमदाबाद। गुजरात की सियासत में चुनावी घोष के बाद से ही लगातार उतार चढाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में राज्य की जनता भी बड़े असमंजस में फंसती जा रही है। वैसे तो कांग्रेस पार्टी सूबे के बड़े नेताओं को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन इन सबके बावजूद भी भाजपा कड़ी टक्कर देती दिख रही है। गुजरात के युवा नेता और पाटीदारों के उभरते मसीहा हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच सहमति को लेकर कई बारचीत हो चुकी थी, लेकिन हल नहीं निकला था।

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अब खबर आ रही है कि लम्बी खींचतान और कई दौर की बातचीत के बाद कांग्रेस और पाटीदारों के बीच सहमति बन गई है। इस सहमति में पटेलों के आरक्षण का मुद्दा सबसे ऊपर होने का दावा किया गया है, लेकिन सबसे अहम बात ये है कि इस सहमति ने (PAAS) के नेताओं को चुनावी मैदान में कांग्रेस के टिकट पर अपनी किस्मत आजमाने का मौका दे दिया है।

फिलहाल कांग्रेस और पाटीदारों के बीच क्या सहमति बनी है, इसका पूरा ब्यौरा अभी नहीं आया है, लेकिन जो बातें पाटीदारों की तरफ से मीडिया में कहीं गई हैं उसमें पाटीदार आंदोलन समिति (PAAS) के कई नेता कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इस बात का खुलासा किया है।

पाटीदार आंदोलन समिति की तरफ से कहा गया है कि राजकोट में पाटीदार के नेता हार्दिक पटेल कल कांग्रेस से बनी सहमति की पूरी जानकारी देंगे। मतलब किस फॉर्मूले के तहत कांग्रेस से सहमति बनी है उसे जानने के लिए अभी एक और दिन का इंतजार करना पड़ेगा।

हार्दिक पटेल से बातचीत के बाद ललित वसोया ने पाटीदार आंदोलन समिति के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया है। ललित कांग्रेस के टिकट पर धोराजी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे।

बता दें कि पाटीदार समाज की मांग है कि पटेलों को पिछड़ा वर्ग में रखा जाए और उसे शिक्षा और नौकरी में आरक्षण दिया जाए।

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गौरतलब है कि गुजरात में दो चरणों में 9 दिसंबर और 14 दिसंबर को मतदान होंगे। मतगणना 18 दिसंबर को होगी। वहीँ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को अपने खेमे में लाकर बीजेपी पर एक मनोवैज्ञानिक जीत दर्ज कर ली है।

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राज्य में बीते 23 साल से भाजपा की सरकार है और हार्दिक पटेल पाटीदार के पिछड़ेपन की वजह बीजेपी को ही मानते हैं। बीते दो साल से हार्दिक पटेल ने गुजरात में पटेलों के आरक्षण के मुद्दे को छेड़ रखा है और बीते कई महीनों से बीजेपी के खिलाफ अपना मोर्चा खोल रखा है।

पटेल की इस रणनीति का सीधा असर पटेलों के वोट करने के पैटर्न पर पड़ेगा, जो अब तक बीजेपी का वोट बैंक माना जाता रहा है। ऐसे में चुनाव में लड़ाई तो कांटे की होने वाली है।

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