संविधान की नई प्रतियों में प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी गायब, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कहा ये

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को हटाने का काम बड़ी चतुराई से किया गया है और यह चिंता का विषय है।

संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मंगलवार को नए संसद भवन में दी गई संविधान की नई प्रतियों में प्रस्तावना में “समाजवादी” या “धर्मनिरपेक्ष” शब्द नहीं थे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन शब्दों को 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़ा गया था लेकिन अगर अब वे शब्द संविधान से गायब हैं, तो यह चिंता का विषय होगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र की मंशा को “संदिग्ध” बताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, “संविधान की नई प्रतियां जो हमें आज (19 सितंबर) दी गईं, जिन्हें हमने अपने हाथों में पकड़ हुआ है और (नई) संसद भवन), इसकी प्रस्तावना में ‘समाजवादी धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं है। हम जानते हैं कि ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह एक बात है। चिंता का विषय…उनकी मंशा संदिग्ध है। यह बड़ी चतुराई से किया गया है। यह मेरे लिए चिंता का विषय है। मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला।”

“जब मैं इसे पढ़ रहा था, तो मुझे ये दो शब्द नहीं मिले। मैंने इन्हें अपने आप जोड़ा… मैंने इसे राहुल गांधी को भी दिखाया… इसमें 1976 में संशोधन किया गया था, तो हमें इसे आज क्यों नहीं मिलना चाहिए चौधरी ने टिप्पणी की, “हम संशोधन क्यों करते हैं? यह हमारे संविधान को बदलने के जानबूझकर किए गए प्रयास को दर्शाता है।” नए संसद परिसर में लोकसभा में पहले भारत और भारत विवाद पर बोलते हुए चौधरी ने कहा कि किसी को भी “इंडिया” और “भारत” के बीच “अनावश्यक” दरार पैदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि कानून के अनुसार दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है।

LIVE TV