CM योगी आदित्यनाथ महीने में 5वीं बार प्रयागराज पहुंचे, की महाकुंभ 2025 की तैयारियों की समीक्षा
आगामी महाकुंभ आयोजन के मद्देनजर सीएम योगी ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) सभागार में आयोजन की तैयारियों की समीक्षा बैठक की। सीएम योगी पहले ही महाकुंभ 2025 के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य गणमान्य लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दे चुके हैं।
महाकुंभ मेला 2025 की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी आयोजन की तैयारियों की समीक्षा के लिए दिसंबर में पांचवीं बार मंगलवार को प्रयागराज का दौरा किया। अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने शहर के नैनी इलाके में बने बायो-सीएनजी प्लांट का उद्घाटन भी किया। मुख्यमंत्री ने संगम एरावत घाट, संगम नोज घाट और गंगा सेतु के समानांतर नवनिर्मित स्टील ब्रिज जैसे प्रमुख स्थानों का भी निरीक्षण किया।
आगामी महाकुंभ आयोजन के मद्देनजर सीएम योगी ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) सभागार में आयोजन की तैयारियों की समीक्षा बैठक की। इस बीच, मुख्यमंत्री अपने प्रयागराज दौरे के दौरान गंगा सेतु के समानांतर बने स्टील ब्रिज का निरीक्षण करने के साथ ही विभिन्न मार्गों का स्थलीय निरीक्षण भी करेंगे।
सीएम योगी पहले ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य गणमान्य लोगों को महाकुंभ 2025 के आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण दे चुके हैं। प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी, 2025 को प्रयागराज में समाप्त होगा।
मुख्य स्नान पर्व, जिसे “शाही स्नान” के नाम से जाना जाता है, 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होगा। महाकुंभ मेला 2025 की तैयारियों के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस सुरक्षा बढ़ाने के लिए पानी के नीचे ड्रोन का उपयोग करेगी।
महाकुंभ 2025 में 10 जनवरी से 24 फरवरी तक भारत की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रदर्शन होगा। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग इस अवधि के दौरान भारत की समृद्ध लोक कलाओं को प्रस्तुत करने की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है।
संस्कृति विभाग प्रयागराज में प्रमुख स्थानों पर 20 छोटे मंच स्थापित करेगा, जिससे पर्यटकों, श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को 45 दिनों तक देश की विविध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने का मौका मिलेगा। इन मंचों पर भारत भर के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे।