CJI लंबित मामलों को लेकर हुए मुखर, कहा- देश की सरकारें सबसे बड़ी मुकदमेबाज !

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में देश भर के मुख्य न्यायधीशों और मुख्यमंत्रियों का संयुक्त बैठक संपन्न हुआ है। बैठक संबोधित करते हुए CJI एन.वी. रमना ने देश के सभी हाई कोर्ट में अंग्रेजी भाषा के अलावा स्थानीय भाषाओं में भी सुनावाई की वकालत की है।

आपको बता दें कि दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और न्यायधीशों के संयुक्त सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री किरेन रिजजू, राज्यों के मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट के जस्टिस, ट्रिब्यूनल के प्रमुख और तमाम न्यायिक अधिकारी शामिल हुए।

बैठको को संबोधित करते हुए CJI एन.वी. रमना ने कहा कि संविधान में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारियों को विस्तार से बांटा गया है। हमें अपनी लक्ष्मण रेखा का खयाल रखना चाहिए। उन्होंने न्यायालय की सीमा बाताते हुए कहा कि अगर गवर्नेंस का कामकाज कानून के मुताबिक हो तो न्यायपालिक कभी उसके रास्ते में नहीं आएगी।

उन्होंने आगे कहा कि अगर नगर पालिका, ग्रामपंचायत अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन करें, पुलिस उचित तरीके से केस की जांच करे और ग़ैर-का़नूनी कस्टोडियल प्रताड़ना या मौते ना हों तो लोगों को कोर्ट आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

CJI ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अदलात के फैसलों को सरकार द्वारा सालों साल तक लागू नहीं किए जाते हैं। न्यायिक घोषणाओं के बावजूद भी जानबूझकर सरकार की ओर से निष्क्रियता देखी जाती है, जो देश हित में नहीं है।

हालाकि नितियां बनाना हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन अगर कोई हमारे पास अपनी शिकायत लेकर आता है तो अदालत उससे मुंह नहीं मोड़ सकती है।

वहीं पीएम मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने लगभग 1800 अप्रासंगिक क़ानूनों की पहचान की और करीब इनमें से 1450 क़ानूनों को खत्म कर दिया गया, लेकिन राज्यों ने अब तक केवल 75 क़ानूनों को ही समाप्त किया है।

इसके बाद पीएम मोदी ने CJI के द्वारा किए गए ‘अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में बहस’ के मांग का समर्थन करते हुए कहा कि हमारे यहां सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कार्यवाही अंग्रेजी में होती है। अब कोर्ट्स में स्थानीय भाषा को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। पीएम ने कहा कि इससे सामान्य नागरिक का न्याय में भरोसा बढ़ेगा।

पीएम मोदी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा कि तकनीकी और मेडिकल शिक्षा सामान्य भाषा में क्यों ना हो ? उन्होंने कहा कि युवाओं की क्षमता के विकास के लिए लीगल एजूकेशन अंतरराष्ट्रीय स्तर का होना चाहिए। इस दिशा में नए आयाम विकसित करने होंगे।

पीएम मोदी ने CJI के बातों एक बार पुन: समर्थन करते हुए कहा कि अच्छा हुआ कि ये मुद्दा सीजेआई ने ही उठाया और मीडिया को सुर्खियां मिलीं लेकिन उसमें समय लगेगा क्योंकि अर्जी डालने से लेकर फैसला आने तक ये काफी पेंचीदा मामला है।

गौरतलब है कि सीजेआई ने अपने पूरे संबोधन में मुखर होकर बोले और उन्होंने सबसे अहम बात यह कहा कि देश की सरकारें सबसे बड़ी मुकदमेबाज है और 50 फीसदी मामलों में पक्षकार है। कई बार सरकार ही मामलों को जानबूझ कर अटकाती है।

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