ये एक वजह बनेगी चीन का काल, हो जाएगा सोवियत संघ जैसा हाल

चीन की ख्वाहिशनई दिल्ली। चीन इस समय सभी देशों को आँखे तरेर रहा है। चीन की ख्वाहिश विश्वपटल पर खुद को सबसे ऊपर रखने की है लेकिन चीन मौजूदा समय में अपना ही सबसे बड़ा दुश्मन बनता जा रहा है। इस बात की पुष्टि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य ने की है।

चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य यांग शिआओडू ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सफलता नहीं मिलती है, तो यह देश के लिए बेहद घातक साबित होगा। इस दौरान शिआओडू ने पूर्ववर्ती सरकार की कड़ी आलोचना भी की।

बता दें कि पोलितब्यूरो के सदस्यों का देश की सत्ता में पूरा नियंत्रण होता है। इस दौरान शिआओडू ने पूर्ववर्ती सरकार की कड़ी आलोचना भी की।

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उल्लेखनीय है कि शिआओडू को सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन के डिप्टी सेक्रेटरी से प्रमोट करके पोलितब्यूरो का सदस्य बनाया गया है, जो इस समय भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में शामिल देश के दूसरे नंबर के शीर्ष अधिकारी माने जाते हैं।

वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ‘पिछले शासनकाल में भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया था कि सत्तारूढ़ पार्टी नेतृत्व कमजोर पड़ गया। इस दौरान निरीक्षण बेहद कमजोर रहा और विचारधारा बेपरवाह रही’।

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने भ्रष्टाचार जैसे खतरनाक चीज़ को बढ़ने दिया।

शिआओडू को चीन के बिखरने की आशंका

शिआओडू ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अपने पूर्ववर्तियों की तरह यह मानते हैं कि अगर सत्ता पर पकड़ ढीली हुई, तो देश में उलट-पुलट मच सकती है और देश बिखर सकता है।

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यही वजह है कि चीन की सत्तारूढ़ पार्टी हमेशा अपने काडर से कहती है कि वो 1990 दशक के सोवियत यूनियन के विनाश का अध्ययन करें।

सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर सफाई करना बाकी

शिआओडू ने अपने लेख में यह भी कहा कि शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में काफी उपलब्धि पाई है, लेकिन अभी पार्टी के भीतर भ्रष्टाचार की सफाई करना अब भी बाकी है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लड़ाई काफी गंभीर है। इसको लगातार आक्रामक कार्रवाई के जरिए ही खत्म किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी

शिआओडू ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दाहिने हाथ माने जाने वाले वांग क्विशान की विदाई के बाद भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर नहीं होगी।

उन्होंने कहा है कि पिछले महीने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व में हुए बदलाव से पहले वांग क्विशान को चीन का दूसरा सबसे शक्तिशाली नेता माना जाता था।

बता दें इस बदलाव के बाद उनको पिछले महीने ही एंटी-करप्शन के प्रमुख के पद से हटाया गया था।

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