Chhattisgarh: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीएम मोदी से 30 हजार करोड़ रुपये की सहायता मांगी, लिखा पत्र…

कोरोना वायरस से लड़ रहे पूरे देश को एकजुट रहने की आवश्यकता है. इसके साथ ही कोरोना के वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से कई व्यापार ठप्प पड़े हैं, नौकरियां रुकी हुईं हैं. ऐसे में चिंता का विषय केवल महामारी नहीं रह जाता. इसी बात को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी चिंता जताई. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य के जरूरतमंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के लिए 30 हजार करोड़ रुपये की सहायता देने का अनुरोध किया है.

बघेल

 

 

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राहत और कल्याणकारी योजनाओं के साथ सामान्य कामकाज के संचालन के तहत अगले तीन महीनों के लिए केन्द्र की ओर से कम से कम 30 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का आग्रह किया है।

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सीएम बघेल ने इस राशि में से 10 हजार करोड़ रुपये तुरंत जारी करने का आग्रह किया है, जिससे उद्योग, व्यवसाय, सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र को आर्थिक सहायता दी जा सके।

अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही राज्य में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के मामले में नियंत्रित स्थिति को देखते हुए राज्य को आंशिक राजस्व से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के संचालन की छूट देने का आग्रह किया है।

बघेल ने पत्र में लिखा है कि मिठाई की दुकानों के संचालन की छूट दी जाए, जिससे दुग्ध उत्पादकों का दूध बिकना संभव हो सके। उन्होंने आगे लिखा है कि संपत्तियों के खरीदने और बेचने के रजिस्ट्रेशन की छूट सहित वाहनों के शोरूम का संचालन और रजिस्ट्रेशन, शहरों में निर्माण कार्यों के संचालन, एयर कंडीशनर, कूलर और फ्रिज के शोरूम के संचालन, हर तरह के मरम्मत का काम करने की छूट दी जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार और प्रशासन की ओर से सभी व्यक्तियों के मास्क पहनने और सामाजिक दूरी को सुनिश्चत करने के लिए हर संभव प्रयत्न किए जाएंगे।

बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि लॉकडाउन की लंबी अवधि के कारण राजस्व का कलेक्शन लगभग शून्य हो गया है। मौजूदा आर्थिक हालातों में राज्य को केंद्रीय करों में से मिलने वाली राशि में भी बड़ी कमी होना निश्चित है। दूसरी ओर राज्य के 56 लाख गरीब और जरूरतमंद परिवारों, जिनकी आय का कोई साधन नहीं बचा है, के जीवनयापन के लिए राज्य सरकार को अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता पड़ रही है।

 

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