आस्था के साथ मिलेगा मन का सुकून, दर्शन करके हो जाएंगे धन्य

भारत हमेशा से ही ऐतिहासिक और धार्मिक प्रधान देश रहा है। यहां के लोगों की आस्था में रूचि होने के नाते यहां पर मंदिरों की कोई कमी नहीं है। भारत का छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां पर घूमने लोग कम जाते हैं लेकिन यहां पर भी काफी प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनका दर्शन कर आप धन्य हो जाएंगे।

आस्था

ज्यादा भीड़भाड़ न होने की वजह से यहां पर पर्यटक सुकून के कुछ पल बिता सकते हैं। आइये जानते हैं यहां पर कौन-कौन से मंदिर हैं जिनका पर्यटक दर्शन के साथ यहां के प्राकृतिक वातावरण का लुफ्त भी उठा सकते हैं।

बम्बलेश्वरी मंदिर

छत्तीगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोररगढ़ में मां बम्लेश्वरी देवी का प्राचीन मंदिर है।  जो वहां कि सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर दो बम्लेश्वरी देवी के दो मंदिर है एक बड़ी बम्लेश्वरी देवी मंदिर और एक छोटी  बम्लेश्वरी देवी मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मां का मंदिर बड़ी बम्लेश्वरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है, जहां पहुंचना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए पहाड़ी के आधार पर इस मंदिर के एक छोटे से संस्करण को देख सकते हैं, जिसे छोटा बम्बलेश्वरी मंदिर कहा जाता है। पर्यटकों को यहां पर पहुंचने के लिए करीबन 1000 सीढियाँ चढ़नी होती है, इस मंदिर का निर्माण करीबन 2000 साल पहले राजा वीरसन नाम के एक स्थानीय राजा द्वारा स्थापित किया गया था। आज भी नवरात्री के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है मान्यता है यहां पर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।

दंतेश्वरी मंदिर

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में दंतेवाड़ा में स्थित, दंतेश्वरी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण, करीबन 14वीं शताब्दी में हुआ था। देवी शक्ति के रूप में मां दांतेश्वरी को समर्पित यह मंदिर भारत के 52 शक्ति पीठों में से एक है। पौराणिक कथायों के मुताबिक, यह वही स्थान है जहां देवी सती का दांत गिरा था। क्योंकि यह वही समय था जब सत्ययुग में सभी शक्ति पीठों का निर्माण हुआ था, अत: इस स्थान की देवी को दंतेश्वरी कहा गया।

बर्फानी धाम

राजनंदगांव जिले में स्थित, बर्फानी धाम भगवान शिव और नंदी की विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। नव निर्मित मंदिर होने के बावजूद, हर साल सैकड़ों हिंदू भक्तों मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते है। इस मंदिर के आसपास यहां का प्राकृतिक नजारे देखने काबिल है। भगवान शिव की जो मूर्ति यहां देखने को मिलगी वो और किसी मंदिर में देखने को नहीं मिलेगी।

भोरमदेव

छट्टीसगढ़ के कबीरधाम में स्थित भोरमदेव मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जिसका निर्माऩ 11 वीं शताब्दी में हुआ था। कबीरधाम जिले में माइकल रेंज की तलहटी में स्थित,भगवान शिव को समर्पित, भोरमदेव मंदिर तीन मंदिरों का एक समूह है। मंदिर के प्रवेश पर गंगा और यमुना का चित्र है। यहां की वास्तुकला और नक्काशी खजुराहो मंदिरों के समान है। अगर आप हरियाली को शौकीन है तो आपको एक बार इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

महामाया मंदिर

बिलासपुर जिले के रतनपुर में स्थित महामाया मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी के राजा रत्नादेव ने कराया था। इस मंदिर में देवी  लक्ष्मी और देवी सरस्वती को पूजा जाता है। पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के बाद, मंदिर में परिसर में ही स्थित अन्य मन्दिरों को भी देख सकते हैं,जिनमें 11 वीं शताब्दी की शुरुआत से कान्तिदेवल मंदिर शामिल है।

 

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