SC-ST Act में संशोधन के खिलाफ ASP ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा- ‘अब नहीं तो कब’

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव के खिलाफ यूपी में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक डॉ बीपी अशोक ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर अपनी 7 मांगे रखी हैं। इतना ही नहीं 7 मांगों को न मानने पर इस्तीफे को स्वीकार करने का आग्रह किया गया है।

एससी-एसटी एक्ट

बीपी अशोक ने पत्र में लिखा है कि, “इस परिस्थिति में मुझे बार-बार यही विचार आ रहा है कि अब नहीं तो कब, हम नहीं तो कौन।” उन्होंने पत्र की एक प्रति पुलिस महानिदेशक को भी भेजी है। हालांकि उन्होंने पत्र में आक्रोशित दलित युवकों से शांति की अपील भी की है।

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डॉ अशोक ने पत्र में लिखा है कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है। संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए। रूल ऑफ़ जज, रूल ऑफ़ पुलिस की जगह पर रूल ऑफ़ लॉ का सम्मान किया जाए।

पुलिस अधीक्षक द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि, महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व अभी तक नहीं दिया गया है। उच्च न्यायालयों में एससी, एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटी महिलाओं को अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है। प्रमोशन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। श्रेणी 1 से 4 तक इंटरव्यू युवाओं में आक्रोश पैदा करते हैं। सभी इंटरव्यू खत्म किए जाएं। जाति के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाया जाए।

जानकारी के लिए बता दें कि डॉ।अशोक दलित मूवमेंट से जुड़े रहे हैं। उनके पिता व सेवानिवृत्त आईपीएस देवी प्रसाद अशोक भी बहुजन आन्दोलन से जुड़े रहे हैं। उन्हें कांशीराम का करीबी माना जाता था।

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डॉ बीपी अशोक उस वक्त सुर्ख़ियों में छाए थे जब बसपा सरकार में उन्होंने अखिलेश यादव को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा बसपा शासन में एएसपी सिटी लखनऊ (पूर्वी) के रूप में तैनाती के दौरान पत्रकारों से अभद्रता पर डॉ बीपी अशोक को निलंबित किया गया था।

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