एक संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है। संतोष के बराबर कोई खुशी नहीं है। लोभ के जैसी कोई बीमारी नहीं है। दया के जैसा कोई सदाचार नहीं है। Kush TiwariNovember 19, 2017 - 12:04 am Less than a minute