अंग्रेजों का यह सपना पूरा करेगी भाजपा, जनता का भी मिला समर्थन
रिपोर्ट- सुरेंद्र ढाका
देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में ट्रेन पहुँचाने का अंग्रेजों का सपना उस समय भले ही पूरा न हो सका हो लेकिन सदियों पहले देखा गया ये सपना जल्द पूरा होने को है यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो ऋषिकेश से आगे भी छुक छुक करती ट्रेन लोग न सिर्फ देख सकेंगे बल्कि शिमला और दार्जलिंग की तरह यहां भी रेल यात्रा का आनन्द उठा सकेंगे।
125 मीटर लंबी रेल लाईन आपको ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक ले जायेगी। युद्ध स्तर पर शुरू हुए इस काम के बाद महत्वकांक्षी परियोजना के पूरा होने के बाद विकास की दौड़ में कंही पीछे रह गए पहाड़ का द्रुत गति से विकास ही नहीं होगा बल्कि सामरिक दृष्टि से भी ये रेल लाईन मील का पत्थर साबित होगा।
इस काम के पूरा होने के बाद आप मात्र एक से डेढ़ घण्टे में कर्णप्रयाग पहुँच जाएंगे इन्हीं सब बातों को लेकर आज मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने सचिवालय में तमाम अधिकारियों की बैठक ली इस बैठक में जहां राज्य सरकार के संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद थे तो वहीं रेल मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे।
चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु हों या फिर सीमा पर जाने वाले सैनिक सभी को अभी न केवल जान जोखिम में डाल कर उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में पहुंचना पड़ता है कई बार तो इन राहों पर निकले लोगों को हादसों में जान भी गंवानी पड़ती है।
इतना ही नहीं आये दिन होने वाले भूस्खलन के चलते रास्तों में लोगों के फंसने व कई कई दिनों तक देश दुनिया से कटे रहना तो जैसे उत्तराखंड की नियति ही बन गयी थी लेकिन ये सब अब बीते कल की बात होने को है ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाईन का सर्वे पूरा कर लेने के बाद भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हुआ और अब काम तेजी से चल भी रहा है।
इस रेल लाइन का अधिकाँश हिस्सा (85 %) सुरंगों से होकर गुजरेगा। इस मार्ग पर जंहा 12 रेलवे स्टेशन होंगे। वंही 17 सुरंग से होकर आप ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचेंगे। न्यू ऋषिकेश स्टेशन से शुरू होने वाले पहाड़ों के इस सफर में शिवपुरी , बयासी , सोड़ (देवप्रयाग), मलेथा , रानी दयूली हॉट , नैथाणा (श्रीनगर), धारी देवी , तिलणी (रुद्रप्रयाग), गोलतीर , गौचर व आखरी स्टेशन शिवाई (कर्णप्रयाग) होगा।
इस रेलमार्ग पर पड़ने वाली सुरंगों में सबसे लंबी सुरंग सोड़ व ज्ञानसू के बीच होगी जिसकी लंबाई 18 किलो मीटर होगी जबकि सबसे छोटी सुरंग 200 मीटर लंबी होगी।
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125 किलो मीटर लंबा ये सफर ब्राड गेज लाईन के माध्यम से मात्र डेढ़ घण्टे में पूरा होगा। क्योंकि प्रथम चरण में सिंगल रेल लाईन का ही प्रावधान है इसलिए हर स्टेशन पर 1 या 2 लूप लाईन होंगी।
रेलवे प्रारम्भ में ही इस रेल लाईन के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम करेगा ताकि इलेक्ट्रिक इंजन कर्णप्रयाग तक रेल ले जा सकें। मुख्य सचिव उत्पल कुमार की मानें तो वन और ग्राम पंचायतों से जो मामले रुके हुए थे उन सभी मामलों को निपटा लिया गया है और आने वाले दिनों में काम तेजी से आगे बढ़ सकेगा।