Birthday 2020: सत्यजीत रे को फिल्मों का शौक आया लंदन यात्रा से, पहली फिल्म ने ही मचा दिया था दुनिया में बवाल…

हिंदी सिनेमा जगत में निर्देशन में सबसे बड़ा नाम जाने वाले सत्यजीत रे को भारत ही नहीं विदेश में भी लोग जानते हैं. उनकी फिल्मों को भले ही शुरुआत में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा हो लेकिन इससे उनके हौसले और मजबूत हुए हैं. दादा साहेब फाल्के के बाद इंडियन सिनेमा में सबसे बड़ा नाम सत्यजीत रे का है. उन्होंने हिंदी सिनेमा को उन ऊंचाईयों पर पहुंचाया है जिसे आज हम देख पा रहे हैं. उनका जन्म दो मई 1921 को कोलकाता में हुआ था. इस खास मौके पर आइए जानते हैं उनके जीवन की कहानी…

 

 

सिनेमा में बहुत बड़ा योगदान रखने वाले सत्यजीत रे के जीवन में फिल्मों के लिए रुझान उनकी एक इंग्लैंड यात्रा की बाद से आया। दरअसल बात अप्रैल 1950 की है जब सत्यजीत रे अपनी पत्नी के साथ इग्लैंड गए हुए थे। उस वक्त सत्यजीत रे एक विदेशी विज्ञापन कंपनी के लिए काम करते थे। काम को बेहतर ढंग से सीखने के उद्देश्य से कंपनी ने छह महीने के लिए लंदन हेड ऑफिस भेजा था।

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लंदन पहुंचने के बाद तीन दिनों के अंदर ही सत्यजीत रे ने फिल्म बाइसिकल थीव्ज देखी। विज्ञापन कंपनी में काम करते हुए सत्यजीत के मन में पाथेर पांचाली बनाने का ख्याल तो था लेकिन फिल्म देखने के बाद उनका इरादा और पक्का हो गया। लंदन में रहते हुए उन्होंने करीबन 100 फिल्में देखीं। वहीं भारत वापसी के वक्त रास्ते में ही उन्होंने पाथेर पांचाली  की पहली रूपरेखा तैयार की थी।

 

पाथेर पांचाली सत्यजीत रे की अपू ट्राईलॉजी की पहली फिल्म थी। ये भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक है।  इस फिल्म को विदेश में तो खूब पसंद किया गया लेकिन देश में इसकी आलोचना हुई। दरअसल रे ने भारत की असल तस्वीर दिखाई थी, जिसे विदेशों में तो खूब सराहा गया लेकिन भारत में नहीं। भारत में फिल्म की आलोचना इसलिए हुई क्योंकि इसमें भारत की गरीबी का महिमामंडन था। खास तौर से पश्चिम बंगाल के हालात को खुल कर पेश किया था। बता दें कि पाथेर पांचाली को भारतीय फिल्म जगत का बेहतरीन क्लासिक कहा जाता है।

 

सत्यजीत रे का सिनेमा को अहम योगदान रहा था। इस बात का अंदाजा आप खुद इस बात से लगा सकते हैं कि भारत सरकार द्वारा सत्यजीत रे को 32 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही 1992 में सत्यजीत रे को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। वहीं तीस मार्च 1992 को भारतीय फिल्मकार सत्यजीत रे को ‘ऑनररी लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से नवाजा गया था। गौरतलब है कि पाथेर पांचाली, अपराजितो, अपूरसंसार और चारूलता जैसी यादगार फिल्में बनाने वाले सत्यजीत रे ने अपने जीवन में कुल 37 फिल्में बनाई थीं।

 

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