
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर विपक्ष और चुनाव आयोग के बीच तनातनी के बीच, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 65 लाख मतदाताओं के नाम, जिन्हें ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाया गया, सार्वजनिक कर दिए हैं।

यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त 2025 के अंतरिम आदेश के बाद उठाया गया, जिसमें आयोग को हटाए गए मतदाताओं के नाम और कारणों को पारदर्शिता के लिए वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया था। सूची बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट (https://ceoelection.bihar.gov.in/index.html) और सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
सूची कैसे देखें?
बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर दो विकल्प उपलब्ध हैं:
- EPIC नंबर के जरिए खोज: मतदाता अपने वोटर कार्ड नंबर (EPIC) डालकर अपनी स्थिति और हटाए जाने का कारण (मृत्यु, स्थायी स्थानांतरण, दोहरी प्रविष्टि, या अनुपस्थित) देख सकते हैं।
- बूथ-वार सूची डाउनलोड: विधानसभा क्षेत्र और बूथ नंबर चुनकर पूरी सूची डाउनलोड की जा सकती है, जिसमें मतदाता का नाम, EPIC नंबर, रिश्तेदार का नाम, आयु, लिंग और हटाए जाने का कारण शामिल है।
सूची हिंदी में उपलब्ध है और मशीन-रीडेबल पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड की जा सकती है। आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि असंतुष्ट मतदाता अपने आधार कार्ड के साथ दावा-आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। दावा-आपत्ति की अंतिम तारीख 1 सितंबर 2025 है, जिसके बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी।
विवाद और विपक्ष का रुख
विपक्षी गठबंधन, विशेष रूप से कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ने SIR प्रक्रिया को “वोट चोरी” करार देते हुए आरोप लगाया था कि दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और प्रवासी मजदूरों के नाम जानबूझकर हटाए गए हैं। राहुल गांधी ने सासाराम से शुरू ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ में कहा था कि यह प्रक्रिया मतदाताओं की पहचान छीनने की साजिश है। RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सूची के प्रकाशन का स्वागत किया, लेकिन कहा कि अब वे गलत तरीके से हटाए गए नामों की जांच करेंगे।
आयोग का जवाब
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोट चोरी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि SIR प्रक्रिया कानून के दायरे में और पारदर्शी तरीके से की गई है। उन्होंने बताया कि 65 लाख नामों में से 36 लाख लोग स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, 22 लाख मृतक हैं, और 7 लाख दोहरी प्रविष्टियों के कारण हटाए गए। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया पिछले 20 वर्षों में 10 से अधिक बार हो चुकी है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है।
क्या है SIR प्रक्रिया?
SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) मतदाता सूची को अपडेट करने की एक गहन प्रक्रिया है, जिसमें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और अन्य अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करते हैं। बिहार में यह प्रक्रिया 25 जुलाई 2025 को पूरी हुई थी, जिसके बाद 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई। कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ का सत्यापन हुआ, और 65 लाख नाम हटाए गए।
आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मतदाता और राजनीतिक दल 1 सितंबर तक दावा-आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट सूची सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई है, और प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई है।