बाबा साहब के जन्मदिन पर पढ़िए वो बातें जिनसे दुनिया में कोहराम मच गया

डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल सन 1891 में मध्यप्रदेश के मऊ में हुआ था. आंबेडकर ही भारत के संविधान के निर्माता हैं.  भीमराव आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है. आज बाबा साहेब का 127 वां जन्मदिन है. बाबा साहेब का जन्म हिन्दू धर्म की महार जाति में हुआ था.

भीमराव रामजी

उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं बाबा साहेब के अनमोल विचार.

जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए.

पति-पत्नी के बीच का संबंध घनिष्ठ मित्रों के संबंध के समान होना चाहिए.

हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.

जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके किसी काम की नहीं.

मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं. एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं.

हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि ‘एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता’ को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता.

इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है. निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो.

यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता  का अंत होना चाहिए.

कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा  जरूर दी जानी चाहिए.

एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है.

मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए.

 

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