दंगों के लिए मशहूर इस जगह को एक महिला ने बना दिया ‘स्वर्ग’

बिहार के भागलपुरभागलपुर| बिहार के भागलपुर में हुए दंगों के नाम पर पिछले लंबे अरसे से यहां राजनीति होती चली आ रही है। चुनाव के दौरान इस इलाके के लोगों के पुराने जख्म हरे किए जाते हैं और उन्हें जाति, धर्म के नाम पर तोड़ने की भी कोशिश की जाती है। ऐसे में दंगाग्रस्त प्रभावित चंपानगर में एक ऐसी महिला भी हैं जो तोड़ने की ताकतों से बेपरवाह न केवल अपने कामों से हिन्दु, मुस्लिम को जोड़ रही हैं बल्कि महिलाओं को हुनरमंद भी बना रही हैं।

चम्पानगर की रहने वाली 41 वर्षीय महिला वंदना झा अपनी मुस्लिम महिला मित्रों (सहयोगियों) नगमा खानम और सोनी खानम के साथ मिलकर अब तक सैकड़ों महिलाओं और लड़कियों को हुनरमंद बना चुकी है। ये महिलाएं न केवल अब आर्थिक रूप से सबल हुई हैं बल्कि कई तो महिलाओं को रोजगाार भी उपलब्ध करा रही हैं।

भागलपुर से पांच किलोमीटर दूर चंपानगर क्षेत्र प्रारंभ से ही बुनकर बहुल इलाका रहा है परंतु यहां गरीबी और अशिक्षा बनी हुई है। दंगे के बाद जहां लोगों के सपने बिखर गए थे, वहीं क्षेत्र की रहने वाली वंदना झा ने ‘मदद फाउंडेशन’ के नाम की संस्था प्रारंभ की और महिला सशक्तीकरण के अभियान प्रारंभ कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया।

वंदना कहती हैं, “जब समाजसेवा करने का फैसला किया तब इसे शुरू करने को लेकर असमंजस में थी, लेकिन कहीं से शुरुआत करनी थी। ऐसे में मैंने आसपास के गरीब बच्चों को निशुल्क तालीम देना प्रारंभ किया। इसके बाद गरीब महिलाओं और लड़कियों को सिलाई-बुनाई सिखाने लगी।”

उन्होंने बताया कि प्रारंभ में इस काम के लिए फेरीवालों से मदद लेनी पड़ी थी। ऐसे में जब महिलाएं आने लगी, तब सिलाई मशीन की संख्या कम पड़ने लगी। वे बताती हैं कि इस निशुल्क प्रशिक्षण की जानकारी हरियाणा के हिसार स्थित वर्मा न्यूज एजेंसी की निदेशक बीणा को मिली तो उन्होंने दो सिलाई मशीन उपलब्ध कराई। इसके बाद दिल्ली के निदान फांउडेशन व विष्णु प्रभाकर फाउंडेशन से मदद लेकर काम करती रही।

वंदना बताती हैं कि अब तक 1500 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को वह नि:शुल्क सिलाई, बुनाई और ब्यूटिशियन का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। वर्तमान समय में 70 महिलाओं के समूह को सिलाई का प्रशिक्षण दे रही हैं।

आज वंदना इस क्षेत्र के लोगों तक यह संदेश पहुंचाने में कामयाब हुई हैं कि महिलाएं स्वयं अपनी चेतना से प्रेरित होकर न केवल घर का, बल्कि समाज का भी भला कर सकती हैं। उनके काम की सराहना भागलपुर की पूर्व नगर पुलिस अधीक्षक वीणा कुमारी, भागलपुर नगर निगम की महापौर रही प्रीति शेखर और ‘ग्रामदीदी’ के नाम से प्रसिद्घ उषा सिन्हा कर चुकी हैं।

वंदना कहती हैं, “राजनीति से समाज में ऊपर-ऊपर ही बदलाव आता है, पर समाजसेवा के जरिए समाज के भीतर बदलाव लाया जा सकता है। यह चित्तशुद्घि का माध्यम है, अहंकार नष्ट होता है, इसके लिए पद और पैसे की जरूरत नहीं होती है।”

वंदना का कहना है कि राहत की भीख देने की बजाए लोगों को हुनरमंद बनाने की कोशिश होनी चाहिए। वंदना ऐसे हुनरमंद महिलाओं का समूह तैयार करना चाहती है जो उत्पादन के काम से जुड़ें।

पुलिस अधिकारी वीणा कुमारी का कहना है कि वंदना के प्रयासों के फलस्वरूप इतना तो जरूर हुआ है कि भागलपुर की महिलाएं और लड़कियां सिलाई, कसीदाकारी सीखकर हुनरमंद हो रही हैं। यदि वे उत्पादन में सफल नहीं होती हैं तो अपना और अपने घर का कपड़ा भी तैयार कर लेती हैं तो आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने का माध्यम बनेगा।

वंदना का सपना है कि गरीब बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित किया जाए, जो बापू की नई तालीम पर आधारित होगा। वंदना को विश्व प्रसिद्घ बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित परमहंस स्वामी निरंजनानंद सम्मानित कर चुके हैं।

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