BCCI ने डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने पर पृथ्वी शॉ पर कसा शिकंजा ! देखें आखिर ऐसा क्या हुआ…

‘ऐना भी न डोप शोप मारया करो’ ये गाना तो आपने सुना होगा लेकिन ये गाना किसी के जीवन में उतर गया और उसके करियर पर रोक लग गई है | हाँ बस कुछ वक़्त के लिए | अब जानना चाह रहे होंगे आप कि आखिर वो है कौन ? बताते हैं…

वो हैं युवा बल्लेबाज अपनी भारतीय टीम के खिलाड़ी पृथ्वी शॉ | इनको भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने के कारण निलंबित कर दिया है | बीसीसीआई ने शॉ को 15 नवंबर तक के लिए निलंबित किया है | ये अवधि लम्बी नहीं है लेकिन कम भी नहीं है |

पृथ्वी शॉ को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की डोपिंग रोधी संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है | पृथ्वी शॉ का बैन 16 मार्च 2019 से 15 नवंबर 2019 तक प्रभावी रहेगा | इसका मतलब साफ़ है कि वो बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में भी नहीं खेलने को पाएंगे |

बोर्ड के डोपिंग रोधी कार्यक्रम के तहत शॉ ने 22 फरवरी 2019 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान पृथ्वी शॉ ने अपना मूत्र सैम्पल दिया था जाँच के लिए | उनके सैम्पल की जांच हुई | और बस लग गई लंका |

उसमें मिला प्रतिबंधित पदार्थ ‘टरबुटालाइन’ | ज्यादा मात्रा में नहीं लेकिन कुछ अंश पाए गए | और ये सब पदार्थ ‘वाडा’ के प्रतिबंधित पदार्थ की सूची में शामिल है |

 

अब क्या हैं ‘वाडा’ ? आइये जानते हैं इस नियम के बारे में –

दरअसल, सभी स्पोर्ट्स प्लेयर को कई तरह कि सावधानियों को बरतना पड़ता है जिसमें से एक है किसी भी तरह कि दवा खाना | इसमें कोई भी दवा खाने से पहले काफी सावधानी बरतनी होती है |

वाडा यानी (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) | इसने कई दवाओं को प्रतिबंधित दवाओं की श्रेणी में रखा हुआ है | और अगर कोई खिलाड़ी इसका सेवन करता है तो उस पर बैन लगा दिया जाता है |

ये बात थोड़ा समझ से परे है कि भाई दवा खा रहे हैं तो इसमें क्या समस्या है | अब दवा न खाए तो क्या मर जाएं जाकर |

लेकिन हम बताते हैं ऐसा क्यों … क्योंकि दुनिया में ऐसी कई दवाएं हैं को शरीर के लिए एक्सटर्नल पॉवर का काम करती हैं इन्हें एक ड्रग्स भी कहा जा सकता है जिससे शरीर कि पॉवर बढ़ती है | आपको बता दें कि इस तरह से दवाओं का सेवन करके कोई खेल खेलने में व्यक्ति अपनी वास्तविक क्षमता से अधिक खेल सकता है | यही कारण है कि वाडा ने इसे बैन किया है |

वाडा ने टरबुटालाइन को प्रतिबंधित किया हुआ है | किसी भी खिलाड़ी को यह दवा खाने से पहले बीसीसीआई से अनुमति लेनी पड़ती है | साथ ही इस बात के प्रूव देना पड़ता है कि उसके अलावा कोई और दवा नहीं ली |

टरबुटालाइन का इस्तेमाल अधिकतर अस्थमा से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए होता है | पृथ्वी शॉ ने यह दवा खांसी से निजात पाने के लिए खाई थी |

 

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बीसीसीआई के मुताबिक, ’16 जुलाई 2019 को शॉ को बीसीसीआई के डोपिंग रोधी नियमों (एडीआर) के अनुच्छेद 2.1 के अंतर्गत डोपिंग रोधी नियम उल्लंघन (एडीआरवी) का दोषी पाया गया और उन्हें आरोप की जांच होने तक अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया गया |

शॉ ने अपने ऊपर लगे आरोपों को माना लेकिन कहा कि उन्होंने अनजाने में इस पदार्थ का सेवन किया, चूंकि उन्हें खांसी थी और इसके लिए उन्होंने जो दवाई ली थी उसमें प्रतिबंधित पदार्थ के अंश थे जिससे वो अनजान थे |’

नियम ‘बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.10.3 के मुताबिक शॉ 16 जुलाई को लगाए गए अस्थायी निलंबन को पूरा करेंगे | समझदारी ये रही कि शॉ ने अपनी गलती मानी | ऐसे में बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.10.2 के मुताबिक यह प्रावधान है कि उनके निलंबन का समय तब से गिना जाए जब उन्होंने सैम्पल (22 फरवरी 2019) दिया था |’

बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.11.2 के मुताबिक क्रिकेट खिलाड़ी निलंबन के आखिरी दो महीनों या एक तिहाई हिस्से में टीम के साथ या क्लब में अभ्यास के लिए लौट सकता है |

इसलिए शॉ सितंबर में ट्रेनिंग पर वापस आ सकते हैं.’ शॉ के अलावा बीसीसीआई ने राजस्थान के दिव्या गजराज और विदर्भ के अक्षय दुलारवर को भी डोपिंग नियमों के उल्लंघन के चलते निलंबित किया है |

शॉ ने एक बयान जारी कर कहा, ‘मुझे आज पता चला कि मैं नवंबर 2019 तक क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगा |’ शॉ ने कहा, ‘यह इसलिए हुआ क्योंकि मैंने खांसी की दवाई ली थी जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ मिला हुआ था |

जिसके बारे में मुझे जानकारी नहीं थी | मैंने यह दवाई इंदौर में फरवरी 2019 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी खेलने के दौरान ली थी |’

पृथ्वी शॉ ने कहा, ‘मैं अभी भी चोट से जूझ रहा हूं जो मुझे पिछले टूर्नामेंट में लगी थी, ऐसे में इस खबर ने मुझे परेशान कर दिया है. मुझे इसे मानना होगा और उम्मीद करता हूं इससे खेल जगत को इस बात की प्ररेणा मिलेगी कि भारत में हम खिलाड़ियों को किसी भी तरह की दवाई लेने के मामले में काफी सतर्क रहना होगा और प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.’

 

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